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Showing posts from August, 2018
 clr bada hota hai size mein aur ye r0 se start hota haiye genrally colorfull hota hai  iske pass pr likha hota hai dc jack ke pass hota hai 6 gen tak ke motherboard mein clr pe voltage inject kr skte hai 

VALVE TAPPET OR LIFTER OR FOLLOWER IN HINDI

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VALVE TAPPET:- CAM शाफ़्ट की लोब की सहायता से टैपेट को ऊपर की ओर पुश किया जाता है यानि ऊपर धकेला जाता है जिससे टैपेट ऊपर उठकर पुश रोड को धकेलता है और पुश रोड के द्वारा रॉकर आर्म को धकेला जाता है रॉकर आर्म तराजू की डंडी की भांति होता है जिसे  एक ऒर से  धकेला जाये तो वो दूसरी ओर से निचे की ओर आता है ये रॉकर आर्म फिर वाल्व के स्टेम को दबाती है और ये स्टेम वाल्व को निचे धकेलती है जिससे वाल्व खुल जाते है टैपेट के ऊपर एक ऐडजस्टिंग स्क्रू  लगा होता है जिससे क्लीयरेंस एडजस्ट किया जाता है जो पुश रोड और टैपेट के बिच क्लीयरेंस होता है VALVE ARRANGEMENT IN HINDI VALVE SPRING IN HINDI  VALVE GUIDE IN HINDI VALVE SEAT IN HINDI VALVE CLEARANCE IN HINDI ENGINE VALVE IN HINDI हाइड्रोलिक वाल्व टैपेट या लिफ्टर :- आजकल की वाहनों में पुराने मैकेनिकल वाल्व लिफ्टर की जगह हाइड्रोलिक वाल्व टैपेट का प्रयोग किया जाता है इसकी खसिया ये होती है है इनमे शोर नहीं होता है क्योंकि इनके मध्य में टैपेट क्लीयरेंस नहीं देते है अगर इसकी वर्किंग की बात करे तो इसमें एक सिलिंडर और एक रिजर्वायर होता है टैपेट

VALVE GUIDE IN HINDI

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VALVE GUIDE:- जब वाल्व सिलिंडर हेड में ऊपर-निचे चलते है तो उनके मध्य यानि सिलिंडर हेड और वाल्व स्टेम के मध्य जिसके कारण हेड के वाल्व के रस्ते ख़राब हो सकते है जिससे पूरा हेड बदलना पड़ेगा इससे बचने के लिए वाल्व गाइड का प्रयोग किया जाता है ये पतले पाइप होते है जिनको हेड में फिट किया जाता है ये सामन्य तौर पर कास्ट आयरन के बने होते है व् टाइप वाले इंजन में ये गाइड दो टुकड़ो में बनी होती है यदि वाल्व गाइड खरब हो जाते है तो वाल्व ठीक प्रकार से नहीं चल पाते है और लुब्रिकेशन आयल इन होल्स में से COMBUSTION चैम्बर में आ जाता है जो इसके लिए ठीक नहीं है VALVE ARRANGEMENT IN HINDI VALVE SPRING IN HINDI  VALVE TAPPET OR LIFTER OR FOLLOWER IN HINDI VALVE SEAT IN HINDI VALVE CLEARANCE IN HINDI ENGINE VALVE IN HINDI फिट करने की विधि :- इसको हेड में फिट करने के लिए हेड को 300 से 400 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है और वाल्व गाइड को ठन्डे बर्फ में ठंडा करके इन दोनों को प्रेस मशीन से फिट किया जाता है इसमें एक सावधानी यह रखनी चाहिए की स्टेम और गाइड के बिच में 0.0015" से 0.0025"

VALVE SPRING IN HINDI

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VALVE SPRING:- जब वाल्व को CAM शाफ़्ट के द्वारा दबाया जाता है तब वाल्व खुलते है लेकिन उनको पुनः वापस बंद करने के लिए CAM को काम में नहीं लिया जा सकता इसके लिए एक स्प्रिंग का प्रयोग किया जाता है वाल्व स्प्रिंग कहते है यदि ये वाल्व खुले रह जायेंगे तो मिश्रण लीक हो जायेगा जिससे हमें पावर नहीं मिल पायेगी इस कारन वाल्व स्प्रिंग का प्रयोग करना पड़ता है और ये स्प्रिंग वाल्व हो हेड में कसकर रखते है कुछ इंजन में दो - दो स्प्रिंग का प्रयोग किया जाता है जिससे ये अच्छी तरह हेड से चिपके रहे इन स्प्रिंग की तनन सामथ्य (TENSILE STRENGTH ) अच्छी होनी चाहिए इसको नापने के लिए स्प्रिंग टेन्शनर टेस्टर का प्रयोग किया जाता है यदि इसका टेंशन यानि लचक कम हो गयी हो तो इनके स्थान पर नई स्प्रिंग लगानी चाहिए यदि आपके पास इसे टेस्ट करने के लिए ये टूल उपलब्ध न हो तो आप इसको वाईस में कसकर भी कर सकते है इसे निकालने  और लगाने के लिए वाल्व कंप्रेसर(VALVE SPRING COMPRESSOR) का प्रयोग किया जाता है VALVE ARRANGEMENT IN HINDI VALVE GUIDE IN HINDI VALVE TAPPET OR LIFTER OR FOLLOWER IN HINDI VALVE SEAT IN HINDI VALV

VALVE ARRANGEMENT IN HINDI

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VALVE ARRANGEMENT सामन्य तौर पर वाल्व हेड अथवा सिलिंडर ब्लॉक में लगाए जाते है वाल्व लगाने की विधि तथा उनके संचालन की वयवस्था इंजन बनाने वाली कम्पनीज अपने सुविधा के अनुसार रख़ती है  प्रकार :- 1 ) साइड वाल्व वयवस्था (SIDE VALVE ARRANGEMENT) 2 ) "L" टाइप वाल्व वयवस्था ("L" TYPE VALVE ARRANGEMENT) 3 ) "T" टाइप वाल्व वयवस्था ("T" TYPE VALVE ARRANGEMENT) 4 ) "F" टाइप वाल्व वयवस्था ("F" TYPE VALVE ARRANGEMENT) 5 ) ओवरहेड वाल्व वयवस्था (OVERHEAD VALVE ARRANGEMENT) 1 ) साइड वाल्व वयवस्था :- इसमें इनलेट तथा एग्जॉस्ट वाल्व को सिलिंडर ब्लॉक में लगाया जाता है इस वयवस्था में वाल्व सिलिंडर ब्लॉक में बनी साइड में उलटे फिट किये जाते है इंजन ब्लॉक में इनको सीट से चिपकाये रखने के लिए स्प्रिंग लगी होती है जिसे कैप तथा स्प्रिंग रिटेनर द्वारा लॉक कर दिया जाता है ये वाल्व इंजन के चलने पर CAM SHAFT की CAM LOBE द्वारा उठाये गए TAPPET से ऊपर उठकर खुलते है 2 ) "L" टाइप वाल्व वयवस्था :- इसमें भी इनलेट और एग्जॉस

ENGINE VALVE IN HINDI

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इंजन वाल्व:- इंजन में आने वाली हवा को सिलिंडर बोर में लाने और निकलने वाली एग्जॉस्ट गैस को बाहर निकलने के लिए वाल्व का प्रयोग होता है इन वाल्व के खुलने व बंद होने के कारण इंजन काम करता है वाल्व कई प्रकार के होते हैं जो वाल्व गैस और तरल प्रदार्थ के दबाव से खुलते है उन्हें प्रेशर वाल्व कहते है जो वाल्व को खोलने के लिए मेकैनिकल प्रबन्द होते है उन्हें मेकैनिकल वाल्व कहते है कुछ ऐसे वाल्व होते है जिनमे गैस या तरल प्रदार्थ अंदर तो आ सकते है लेकिन बाहर नही जा सकते उनको नान रिटर्न वाल्व (NON RETURN VALVE) कहते है वाल्व के बारे में और जानने के लिए इन लिंक पर क्लिक करे  VALVE ARRANGEMENT IN HINDI VALVE SPRING IN HINDI VALVE GUIDE IN HINDI VALVE TAPPET OR LIFTER OR FOLLOWER IN HINDI VALVE SEAT IN HINDI VALVE CLEARANCE IN HINDI धातु:-  इनलेट वाल्व को HIGH TENSILE STEEL और STAINLESS STEEL की बनी होती है क्योंकि इसमें ठंडी हवा  आती है जिसका तापमान कम होता है एग्जॉस्ट वाल्व निकिल स्टील और मोलिब्लेडनेम एलाय का बना होता है क्योंकि इस वाल्व को अत्यधिक तापमान सहन करना पड़ता है प्रका

TIMING GEAR IN HINDI

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TIMING GEAR CAM SHAFT के अगले सिरे में एक गियर लगा होता है जो कि क्रैंक शाफ़्ट के गियर से दोगुना बड़ा होता है इन्ही के द्वारा दोनो गियर को आपस मे जोड़ा जाता है इन्हें ही टाइमिंग गियर कहते है दोनों शाफ़्ट को आपस मे जोड़ने के कुछ अन्य तरीके होते है कुछ इंजन में cam तथा क्रैंक शाफ़्ट को जोड़ने के लिए टाईमिंग चैन का प्रयोग किया जाता है और कुछ इंजन में इसके लिए अतिरिक्त idle gear का प्रयोग किया जाता है और कुछ में तो idel गियर को भी चैन के द्वारा जोड़ा जाता है इसके अतिरिक्त fuel pump को भी इसी टाइमिंग के साथ जोड़ा जाता है Petrol engine में distributor को इसके साथ जोड़ा जाता है 

FIRING ORDER IN HINDI

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FIRING ORDER मल्टी सिलिंडर इंजन में हर एक सिलिंडर में किस समय किस सिलिंडर में फायरिंग होती है इसे ही फायरिंग आर्डर कहते है ऐसा क्यों जरूरी होता है कि फायरिंग आर्डर के हिसाब से फायरिंग की जाए ऐसा इसलिए जरूरी होता है क्योंकि अगर ऐसा नही होगा तो इंजन बैलेंस अथवा संतुलित नही चलेगा जिससे इंजन में वाइब्रेशन उत्पन्न होगी जो इसके लिए ठीक नही है फायरिंग आर्डर सिलिंडर 1) 2 सिलिंडर :-1,2 या 2,1 2)3 सिलिंडर :- 1,3,2 3)4 सिलिंडर:- 1,3,4,2 या 1,2,4,3 इसके अतिरिक्त 1,3,2,4 4) 6 सिलिंडर:- 1-4-2-6-3-5 या 1-3-5-6-2-4 या 1-3-2-6-4-5 या 1-2-4-6-53 5) 8 सिलिंडर :- 1-6-2-5-8-3-7-4 या 1-7-3-8-4-6-2-5 या 1-5-2-6-4-8-3-7  इसके अतिरिक्त v type इंजन के फायरिंग आर्डर भी अलग-अलग होते है 

CONNECTING ROD IN HINDI

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CONNECTING ROD कनेक्टिंग रोड पिस्टन की ऊपर-निचे की चाल अथवा रेसिप्रोक्रेटिंग चाल को क्रैंक शाफ़्ट को देता है जो उसे रोटरी मोशन में बदलता है कनेक्टिंग रोड की चाल ऊपर-निचे होने के सतह कुछ तिरछी भी होती है इसका इस सिरा छोटा तथा एक बड़ा होता है छोटे सिरे को स्माल एन्ड बेअरिंग और बड़े को बिग एन्ड बेअरिंग कहते है छोटे सिरे में ब्रॉन्ज या गन मेटल का बुश प्रयोग करते है कुछ भरी इंजन में इसकी जगह रोलर बेअरिंग का यूज़ होता है रोड का छोटा सिरा पिस्टन के साथ जुड़ा होता है और बड़ा सिरा क्रैंक शाफ़्ट के साथ बड़ा सिरे में दो भाग होते है जिसकी सहायता से इसे क्रैंक शाफ़्ट में कनेक्टिंग रोड बोल्ट की सहयता से क्रैंक पिन में कसा जाता है बड़े सिरे के दोनों भागो में दो बेअरिंग शैल लागए जाते है तथा चिकने होते है जो घर्षण को कम करते है इन शैल के के बिच में लुब्रिकेशन आयल के लिए खांचा कटा होता है जिसमे से आयल आता रहता है धातु : -पिस्टन के प्रत्येक बार ऊपर-निचे चलने  कारन इसे झटका सहन करना पड़ता है इस कारण इसे कास्ट               आयरन अथवा  एल्लुमिनियम  एलाय से बनाया जाता है कनेक्टिंग रोड यदि टेढ़ा हो जाये तो ये

CYLINDER LINER IN HINDI

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Cylinder liner:- इंजन में सिलिंडर बोर के अंदर पिस्टन चलते है जिनमे लगे रिंग्स के कारण सिलिंडर वाल से घिसटकर चलते है और पावर स्ट्रोक के दौरान इसमे बहुत अधिक गर्मी पैदा होती है जिससे इनकी दीवार धीरे-धीरे घिसने लगती है अगर इनकी दीवारे घिस जाएगी तो सिलिंडर में गैस लीक होने लगेगी जिससे पावर नही मिल पायेगा यदि सिलिंडर ब्लॉक में बिना लाइनर के पिस्टन फिट कर दिया जाए तो इसकी दीवार और जल्दी घिसने लगेगी जिससे हमें पूरे ब्लॉक को ही बदलना पड़ेगा इससे बचने के लिए लाइनर का प्रयोग किया जाता है MATERIAL:- ये लाइनर साधारणतः cast iron alloyed(chromium,molyvedniu,vanadium)  का होता है इसमे graphine भी मिला होता है जो लुब्रीकेंट का कार्य करता है और जंग घिसावट और टेम्प्रेचर को सहने योग्य बनाता है TYPES OF CYLINDER LINER:- 1)DRY LINER(सुख लाइनर) 2)WET LINER(गिला लाइनर) 1)DRY LINER:- इन लाइनर का प्रयोग अधिकतर किया जाता है इसमें पुराने घिसे हुए लाइनर के ऊपर ही इसको फिट कर दिया जाता है ये सीधे वाटर जैकेट के संपर्क में नही होते हैं इसलिए ये अच्छी तरह ठंडी नही हो पाती है इसमें जंग नही लगता और इन

TYPE OF CYLINDER WEAR IN HINDI

Cylinder wear(सिलिंडर घिसावट):- इंजन में पिस्टन के चलने के कारण लगातार गर्मी और घर्षण के कारण सिलिंडर घिस जाती है चाहे वह कितनी भी अच्छी धातु की ही क्यों न बनी हो TYPES:- 1)TAPER WEAR (टेपर घिसावट) 2)OVAL WEAR(अण्डाकार घिसावट) 1)TAPER:- इंजन में पिस्टन द्वारा सिलिंडर की दीवारों पर पिस्टन रिंग्स का दबाव होता है फायरिंग स्ट्रोक के दौरान सिलिंडर में ऊपर की ओर गर्मी अधिक होती है जिसके कारण सिलिंडर ऊपर अधिक घिसता है और नीचे कम जिस कारण टेपर घिसावट हो जाती है 2)OVAL WEAR:- ENGINE में connecting rod के टेढ़ा हो जाने तथा क्रैंक jounral के bearing के खराब हो जाने के कारण ऐसी घिसावट होती है जब भी पिस्टन ऊपर जाती है तो वह हिलती है जिसके कारण वह साइड्स से दीवारों को घिसने लगती है जिससे oval वियर हो जाता है

WHAT IS HP BHP AND IHP AND FHP

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HP(horsepower) Horsepower पावर को नापने की एक इकाई है वर्तमान में हार्सपावर को यदि समझाया जाए तो इसका मतलब है कि 1 metric horsepower वह हॉर्स पावर है जो किसी 75 किलोग्राम वजन को पृथवी के गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध 1 second में 1 मीटर ऊपर उठाने में इस्तेमाल होती है 1hp=735.5watts IHP(INDICATED HORSEPOWER):- इंजन में उत्पन्न समस्त सकती को INDICATED HORSEPOWER कहते है इसे IHP द्वारा प्रदर्शित करते है BHP(BRAKE HORSEPOWER): -ENGINE की वह शाक्ति जो FLYWHEEL पर प्राप्त होती है उसे BHP कहते है FHP(FRICTION HORSEPOWER):- इंजन में लगे पार्ट्स को चलाने में घर्षण द्वारा जो शक्ति की हानि होती है इसे FHP कहते हैं 

CLEARANCE VOLUME, SWEFT VOLUME ,COMPRESSION RATIO., POWER,T.D.C AND BDC IN HINDI

CLEARANCE VOLUME(V.C):- पिस्टन के T.D.C पर पहुँचने के बाद उसके ऊपर सिलिंडर में खाली आयतन रह जाता है उसे क्लीयरेंस वॉल्यूम कहते है SWEFT VOLUME:- PISTON द्वारा T.D.C से  B.D.C तक पहुँचाने से सिलिंडर के अंदर जो आयतन कहली हो जाता है उसे स्विफ्ट वॉल्यूम कहते है अर्थात जो आयतन पिस्टन द्वारा T.D.C से  B.D.C तक SWEEP कर दिया जाता है उसे ही स्विफ्ट वॉल्यूम कहते है COMPRESSION RATIO:- कम्प्रेशन स्ट्रोक में पिस्टन के B.D.C के समय सिलिंडर में गैस का आयतन व पिस्टन के T.D.C के समय पिस्टन के ऊपर combustion चैम्बर में गैस के आयतन के अनुपात को कम्प्रेशन रेश्यो कहते हैं POWER:- किसी वस्तु के कार्य करने की दर को शक्ति कहते है Top dead center(T.D.C):- पिस्टन अपने स्ट्रोक में ऊपर के जिस चरम बिंदु तक जाता है उस स्थिति में यदि क्रैंक शाफ़्ट को घुमाया जाए तो पिस्टन वापस निचे की तरफ आएगा इसे TDC कहते है Bottom dead center(B.D.C):- पिस्टन अपने स्ट्रोक में नीचे के जिस चरम बिंदु तक जाता है उस स्थिति में यदि क्रैंक शाफ़्ट को घुमाया जाए तो पिस्टन वापस ऊपर की तरफ आएगा इसे BDC कहते है

WHAT IS LEAD,LAG AND OVERLAP IN HINDI

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LEAD,LAG AND OVERLAP:- इंजन में चार स्ट्रोक के पुरे होने से पावर प्राप्त होती है सैद्धांतिक तरीके से देखे तो सक्शन स्ट्रोक के दौरान वाल्व वाल्व खुलते है हुए एग्जॉस्ट स्ट्रोक के दौरान दोनों वाल्व पूर्ण रूप से बंद होने चाहिए लेकिन प्रायोगिक  (PRACTICALLY) ऐसा नहीं होता है इसे वाल्व टाइमिंग डायग्राम के द्वारा समझा जाता है डायग्राम में इसे ही समझाया गया है  LEAD : -समय से पूर्व वाल्वो (VALVE )का खुलना लीड कहलाता है  LAG :-समय के बाद वाल्वो का बंद होना लग कहलाता है  OVERLAP :-SUCTION STROKE के सुरु होने व एग्जॉस्ट स्ट्रोक के अंत में कुछ देर के लिए इनलेट व एग्जॉस्ट वाल्व एक साथ खुले रहते है इसे ओवरलैप कहते है 

TWO STROKE AND FOUR STROKE ENGINE DIFFRENCES IN HINDI

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2 STROKE AND 4 STROKE ENGINE DIFFRENCES ( चार स्ट्रोक और टू में अंतर ) 1)फोर  स्ट्रोक इंजन में क्रैंक शाफ़्ट के दो चक्कर में चारो साइकिल (सक्शन,कम्प्रेशन,पावर,एग्जॉस्ट)पुरे होते है लेकिन टू स्ट्रोक इंजन में क्रैंक शाफ़्ट के एक ही चक्कर में ये चारो स्ट्रोक पुरे हो जाते है  2)फोर स्ट्रोक इंजन में वाल्व (VALVE) का प्रयोग किया जाता है अंदर जनि और बाहर निकलने वाली गैसों के लिए लेकिन टू स्ट्रोक इंजन में पोर्ट(पोर्ट )का यूज़ किया जाट है गाओ को अंदर भेजने और बाहर निकलने क लिए  3)फोर  स्ट्रोक इंजन में वाल्व को खोलने वह बंद करने क लिए कैम शाफ़्ट का प्रयोग किया जाट है लेकिन टू स्ट्रोक इंजन में इसके लिए कोई वाल्व का प्रयोग नहीं किया जाता है इसके लिए पिस्टन क द्वारा ही इनके पोर्ट्स को खोला व बंद किया जाता है  4)4 स्ट्रोक इंजन में फ्यूल का मिश्रण दहन कक्ष  (COMBUSTION CHAMBER)  में जाकर दबता है लेकिन 2 स्ट्रोक इंजन में मिश्रण सीधे कबुस्तिओं चैम्बर में नहीं जेक दबता वह पहले क्रैंक केस में जाकर दबता है इसके बाद ट्रांसफर पोर्ट क द्वारा कबुस्तिओं चैम्बर में जाता है  5)4 स्ट्रोक इंजन में

SCAVENGING IN HINDI

SCAVENGING IN HINDI(अपमार्जन  ) इंजन से जली हुए गैसों को बहार निकालने क लिए जिस विधि  का प्रयोग किया जाता है उसे SCAVENGING कहते है ये दो प्रकार क होते है :- 1)LOOP SCAVENGING 2)UNIFLOW SCAVENGING LOOP SCAVENGING:- इस प्रकार की विधि में INLET और EXHAUST पोर्ट सिलिंडर में विपरीत तरफ लगे होते  है  जिससे सिलिंडर में आने वाली हवा जली गैसों को लूप के रूप में बाहर निकालती है UNIFLOW SCAVENGING:- इसमें एक एग्जॉस्ट वाल्व सिलिंडर में आने वाली हवा को उसी दिशा में बहरा निकल देती है 

SPARK PLUG IN HINDI

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SPARK PLUG:- स्पार्क प्लग का प्रयोग petrol इंजन में किया जाता है पेट्रोल और हवा के मिश्रण को जलाने के लिए क्योंकि उसके मिश्रण का कम्प्रेशन के दौरान तापमान इतना नही होता कि वो उस फ्यूल को जला सके ये काम करने के लिए स्पार्क प्लग की आवशक्ता होती है जिसके लिए ignition सिस्टम की आवश्कता होती है जिसकी सहायता से गाड़ी की 12 volt से power लेकर 20000 volt ignition coil की मदद से बढ़ाते हैं और फिर उसे डिस्ट्रीब्यूटर में भेज दिया जाता है  और डिस्ट्रीब्यूटर का काम होता है जिस cylinder में combustion करना है उस टाइम में वहाँ voltage की सप्लाई को पहचान और बारी-बारी से एक- एक सिलिंडर को वोल्टेज देना ये वोल्टेज सिलिंडर हेड में लगे स्पार्क प्लग में भेज जाता है PARTS OF SPARK PLUG 1)CENTER ELECTRODE 2)GROU ELECTRODE 3)GASKET 4)HEXAGONAL NUT 5)INSULATOR 6)TERMINAL THREAD 1) center electrode :-ये स्पार्क प्लग के बीच मे लगा होता है जिसमे वोल्टेज की सप्लाई दी जाती है इसके बीच मे एक रेजिस्टेंस (प्रतिरोधक)लगा होता है 2) ground electrode :-ये सेंटर इलेक्ट्रोड के बाहर लगा होता है

TYPES OF INJECTORS NOZZLE IN HINDI

TYPES OF INJECTORS NOZZLE:- 1)SINGLE HOLE 2)MULTI HOLE 3)PINTLE NOZZLE 4)PINTAUX NOZZLE 5)LONG STEM NOZZLE 1)SINGLE HOLE NOZZLE :-इस तरह के नोजल में स्प्रे करने के लिए सिर्फ एक होल होता है ये डायरेक्ट इंजेक्शन में इस्माल होता है और छोटे इंजन में प्रयोग किये जाते है 2)MULTI HOLE NOZZLE :- इस तरह के नोजल में दो होल होते हैं ये भी डायरेक्ट इजेक्शन में उसे होता है इसके होल अलग -अलग कोण पर होते है जो चैम्बर में कई जगह स्प्रे करते है 3)PINTLE NOZZLE:-ये single और मल्टी नोज़ल से थोड़े अलग डिज़ाइन के होते हैं इसका यूज़ indirect injection सिस्टम में उसे होता है PRE COMBUSTION CHAMBER में इनका प्रयोग किया जाता है इसमें इंजेक्शन दो स्टेज अर्थात दो चरणों में होता है इसमें निचे की और एक पिन या जिसे पिंटल कहते है उठती है और फ्यूल का इंजेक्शन कराती है इस कारण इसे PINTLE NOZZLE भी कहते है 4)4)PINTAUX NOZZLE:-इसका यूज़ भी indirect injection वाले engine में किया जाता है इस इंजेक्टर के नोज़ल में एक अतिरिक्त (auxillary) होल होता है ये भी पिंटल नोजल  के समान होता है लेकिन इसकी बॉडी में एक एक अति

TYPES OF COMBUSTION CHAMBER IN HINDI

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TYPES OF COMBUSTION CHAMBER Combustion chamber के कई प्रकार होते हैं इसे सभी का उद्देश्य यही होता है कि फ्यूल को चैम्बर में अच्छी तरह जलाया जा सके जगह और आवश्यकता के अनुसार इनको design किया जाता है चैम्बर में fuel का जब इंजेक्शन होता है तब swirl और turbulance effect पैदा होता है जो चैम्बर की डिज़ाइन पे निर्भर करता है कि वह किस तरह का है TYPES: - 1)Shallow depth chamber 2)hemishperical chamber 3)tortoid chamber 4) cylindrical chamber 5)swirl chamber 6)disc side plug 7)disc center plug 8)wedge open 9)wedge close 10)wedge close fast burn 11)hemi side plug 12)hein center plug 13)perbool 14)per bool with squich

DIRECT ABD INDIRECT FUEL INJECTION IN HINDI

INJECTION OF FUEL:- जब फ्यूल को combustion chamber में भेज जाता है तब उसे combustion chamber में कहाँ पर स्प्रे (spray) करना है यही तरीका डायरेक्ट और इनडाइरेक्ट फ्यूल इंजेक्शन कहलाता है INDIRECT FUEL INJECTION:-इसमे फ्यूल को सीधे combustion chamber में spray नहीं  किया जाता है ADVANTAGES:- 1)swirl motion अच्छी तेज बनता है 2)महंगे ultra high-pressure fuel injection system की जरूरत नही है 3)इसमे pintle nozzle use होता है DISADVANTAGE 1)इसकी thermal efficiency काम होती है 2)इसके लिए high compression ratio की जरूरत होती है INDIRECT FUEL INJECTION:- इसमे fuel को combustion chamber में सीधे इंजेक्ट(स्प्रे)नही किया जाता है इसे एक pre combustion chamber में इंजेक्ट किया जाता है ADVANTAGES:- 1)cold start आसान होता है 2)कम खर्चीला होता है 3)thermel efficiency अच्छी होती है DISADCANTAGES 1)आवाज तेज आती है 2)इसमे power output काम मिलता है 3)swirl तेजी से नही बनता है

EXHAUST SYSTEM IN HINDI

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EXHAUST SYSTEM                                                                                                                                                                                                                       EXHAUST SYSTEM:-इंजन में fuel का combustion होता है यानी फ्यूल जलता है फ्यूल जलने से उसमे मौजूद moleclues अणु टूटने लगते है जिसमे कई तरह की गैस निकलती है जो वातावरण के लिए घातक होती है जिसमे HC,CO,NOX होती है जो  EXHAUST SYSTEM से गुजरने के बाद NE,H2O,CO2 में बदल जाती है जो कम नुकसानदायक होती हैं और engine से निकलने वाली आवाज को जाम कर देती है PARTS OF EXHAUST SYSTEM:- 1)CATAYLITIC CONVERTOR 2)MUFFLER 3)TAIL PIPE 1)CATYALITIC CONVERTOR :- ये इंजन से निकलने वाली जहरीली गैस को फ़िल्टर कर के काम नुकसानदायक गैस मे बदल देती है इसमे गैस का oxidation होता है ये 2 types के होते हैं 1) 2 Way catalytic converter:- इसमे hc and co filter हो जाती है 2)3 way catalytic converter:- इसमे तीनो गैस फ़िल्टर हो जाती है इसके अंदर रrhodium and platinun मेटल धातु का उसे होता

FLYWHEEL IN HINDI

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                                 FLYWHEEL FLYWHEEL इंजन के पीछे लगा होता हैं जहाँ से हमें पावर आगे मिलती है flywheel engine के rotation  energy power को स्टोर करता है गतिज उर्जा के रुप मे flywheel से हमे output प्राप्त होता है BENIFITS OF FLYWHEEL:- 1) यह इंजन के घुमाव को एनर्जी के रूप में बदलता है 2) यह इंजन के power strokes को प्राप्त करने के लिए energy स्टोर करता है 3)फलीव्हील मे ring gear लगा होता है जो self starter के pinion गियर से जुड़ा होता है जब स्टार्टर का पिनियन घूमता है तो ये फलीव्हील के रिंग गियर को भी घूमता है जिससे इंजन स्टार्ट हो जाता है 44)ये power को आगे transmit(भेजने या इस्तान्तरित) करने जे काम आता है क्लच flywheel चिपका होता है MATERIAL:-ये साधारण तौर पर कास्ट आयरन के बने होते है इसके बीच मे spigot bearing लगा होता है जो gearbox के primary इसमे लगा होता है ये आजकल अलग-अलग मटेरिअल के बनाये जा रहे है