clr bada hota hai size mein aur ye r0 se start hota haiye genrally colorfull hota hai  iske pass pr likha hota hai dc jack ke pass hota hai 6 gen tak ke motherboard mein clr pe voltage inject kr skte hai 

ENGINE VALVE IN HINDI

इंजन वाल्व:-

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इंजन में आने वाली हवा को सिलिंडर बोर में लाने और निकलने वाली एग्जॉस्ट गैस को बाहर निकलने के लिए वाल्व का प्रयोग होता है इन वाल्व के खुलने व बंद होने के कारण इंजन काम करता है वाल्व कई प्रकार के होते हैं जो वाल्व गैस और तरल प्रदार्थ के दबाव से खुलते है उन्हें प्रेशर वाल्व कहते है जो वाल्व को खोलने के लिए मेकैनिकल प्रबन्द होते है उन्हें मेकैनिकल वाल्व कहते है कुछ ऐसे वाल्व होते है जिनमे गैस या तरल प्रदार्थ अंदर तो आ सकते है लेकिन बाहर नही जा सकते उनको नान रिटर्न वाल्व (NON RETURN VALVE) कहते है

वाल्व के बारे में और जानने के लिए इन लिंक पर क्लिक करे 

VALVE ARRANGEMENT IN HINDI
VALVE SPRING IN HINDI
VALVE GUIDE IN HINDI
VALVE TAPPET OR LIFTER OR FOLLOWER IN HINDI
VALVE SEAT IN HINDI
VALVE CLEARANCE IN HINDI


धातु:- 

इनलेट वाल्व को HIGH TENSILE STEEL और STAINLESS STEEL की बनी होती है क्योंकि इसमें ठंडी हवा आती है जिसका तापमान कम होता है एग्जॉस्ट वाल्व निकिल स्टील और मोलिब्लेडनेम एलाय का बना होता है क्योंकि इस वाल्व को अत्यधिक तापमान सहन करना पड़ता है

प्रकार:-

1) स्लाइडिंग स्लीव वाल्व (sliding sleeve valve)

2)रोटरी वाल्व (rotary valve)

3)पोपट वाल्व (popet valve)

4)रिड वाल्व (Reed valve)


1)स्लाइडिंग वाल्व:-
इसका प्रयोग आजकल की गाड़ियों में प्रयोग नहीं किया जाता है इनको COMBUSTION चैम्बर में फिट किया जाता था ये वाल्व ऊपर -नीचे चलकर अपने पोर्ट्स को खोलते और बन्द करते है ऊपर -नीचे के होने के साथ घूमते भी है इन वाल्व में घर्षण अधिक होता है आजकलAUSTENITIC STAINLESS STEEL का प्रयोग किया जाता है

2)रोटरी वाल्व:-
इन वाल्व में एक खोकली शाफ़्ट का प्रयोग किया जाता है जो घूमती है इनको COMBUSTION चैम्बर के सामने इनलेट और एग्जॉस्ट के मार्ग में लगाया जाता है यह शाफ़्ट घूमकर बारी-बारी से इनलेट और एग्जॉस्ट के मार्ग को खोलती है बाकी समय यह चैम्बर को बंद रखता है लगातार घूमते रहने के कारण शाफ़्ट जल्दी घिस जाते है

3)पोपट वाल्व:-
इस प्रकार के वाल्व आजकल सभी INTERNAL COMBUSTION ENGINE वाहनों में प्रयोग किये जाते है ये छतरी के आकार की होती है इनके हेड 45 से 30 डिग्री पर वाल्व सीट के अनुसार चैंफर किये जाते हैं इस हेड के साथ एक लंबी छड़ होती है जिसे स्टेम कहते है इस स्टेम में एक ग्रूव यानी खाँचा बना होता है जिसे लॉक ग्रूव कहते हैं जिसमे वाल्व स्प्रिंग को लगाया जाता है ये वाल्व ऊपर नीचे चलते है

4)रिड वाल्व:-
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ये वाल्व पतली धातु की पट्टी से बनी होती है इसे भी नॉन रिटर्न वाल्व कहते है जब गैस इस वाल्व से होकर जाती है और अंदर जाने के बाद उस मार्ग से वापस नही आ पाती है क्योंकि गैस वापस दबाव डालती है तो उसके प्रेशर के कारण खुल नही पाती है 2 स्ट्रोक इंजन और कुछ एयर कंप्रेसर में इस वाल्व का प्रयोग होता है

SODIUM VALVE:-

इसके अलावा एकऔर प्रकार की वाल्व होती है जिसे सोडियम वाल्व कहते है इस वाल्व की स्टेम अंदर से खोकली होती है जिसमे मेटालिक सोडियम भरा रहता है ये वाल्व केवल एग्जॉस्ट के लिए प्रयोग होते है क्योंकि ये अत्यधिक तापमान सहन कर सकते है इनका प्रयोग भरी वाहनों में किया जाता है ये वाल्व की क्रैक होने ही आशंका बानी रहती है अगर ये फट जाये तो पानी के साथ मिलकर आग लगा सकती है 

वाल्व टॉप के प्रकार

1)फ्लैट टॉप (flat top):- आजकल ज्यादातर इसका ही प्रयोग किया जाता है इसकी हेड समतल होती है

2)टूलिप टॉप( tulip top):-इसका प्रयोग रेसिंग कारो तथा वायुयान में प्रयोग किये जाते है इसकी टॉप नीचे से गोलाई लिए हुए होती है

3)स्टैण्डर्ड टॉप (standard top):-इसकी टॉप ऊपर से कुछ गोलाई लिए होती है इसका ज्यादा प्रयोग नही होता 

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