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 clr bada hota hai size mein aur ye r0 se start hota haiye genrally colorfull hota hai  iske pass pr likha hota hai dc jack ke pass hota hai 6 gen tak ke motherboard mein clr pe voltage inject kr skte hai 

TWO STROKE AND FOUR STROKE IN HINDI

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COMPRESSION RATIO IN HINDI

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                          COMPRESSION RATIO COMPRESSION RATIO  किसी भी ENGINE मे CYLINDER BORE मे आने वाली हवा और उस दबी हुए हवा के अनुपात को कहते है जिन गाडियो मे COMPRESSION RATIO अधिक होता है उनमे FUEL का COMBUSTION सही समय पर होता है                                STROKE इसे समझने से पहले STROKE को जानना जरुरी है  STROKE  किसी   ENGINE मे PISTON के  CYLINDER मे टॉप (TOP) जिसे TDC यानि (TOP DEAD CENTER) कहते है यानि इस स्थिति मे पिस्टन सिलिंडर (मे सबसे ऊपर होता है उसकी maximum height पर और piston के सबसे निचे यानि bottom जिसे (bottom dead center) कहते है तक की दुरी होती है two stroke का अर्थ है की पिस्टन दो बार ऊपर फिर निचे चलता है तक एक cycle पूरा होता है जिससे हमें एक बार पॉवर( power) मिलती है tdc से bdc तक की दुरी को ही stroke कहते है इसे समझने के लिए माना किसी  CYLINDER BORE  मे 100cc हवा को भेजा गया यहाँ cc का अर्थ होता है (CUBIC CENTIMETER) जब PISTON TDC यानि ऊपर से BDC यानि निचे की और चलता है तब सिलिंडर मे सक्शन (SUCTION) बनता है इस सक्शन के कारण  CYLIN

TURBOCHARGER IN HINDI

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                        TURBOCHARGER TURBOCHARGER इंजन की शक्ति (POWER) को बढ़ाता है  ये इंजन मे वायुवीय दक्षता  (VOLUMETRIC EFFICIENCY) को बढ़ाती है यानि ENGINE मे ज्यादा से ज्यादा AIR हवा को भेजने का कार्य करती है ये इंजीन के EXHAUST GAS की शक्ति से चलता है इसे चलाने के लिए किसी  MOTOR या इंजीन की शक्ति का प्रयोग नही किया जाता है इससे इंजन की HP (HORSEPOWER )   बढ़ जाती है और ईंधन  (FUEL) की खपत नहीं होती है इसका  एक प्रकार सुपरचार्जेर  (SUPERCHARER) होता है जो यही काम करती है केवल अंतर इतना होता है की ये इंजन की क्रैंक शाफ्ट से बेल्ट के जरिये पॉवर (POWER) लेती है इंजन की शक्ति से चलता है  PARTS:-TURBOCHARGER कई पार्ट्स से मिल कर बना होता है 1)  COMPRESSION  HOUSING 2)  TURBINE  HOUSING 3)  COMPRESSION  WHEEL  4)  TURBINE  WHEEL  5) BEARING AND SHAFT इसके अलावा भी इसमें कई PARTS लगे होते है लेकिन मुख्यतः ये 4 पार्ट्स लगे होते है Working: - इसमें दो अलग-अलग HOUSING होती है इन  HOUSING  के अंदर WHEEL लगी होती है  HOUSING  का अर्थ उसका COVER होता है ज

ENGINE COOLING SYSTEM IN HINDI

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                                            ENGINE COOLING SYSTEM                          इंजन चलने पर गर्मी (HEAT) पैदा करते है अगर इस हीट को बहार न निकला जाये तो इंजन  केPISTON (SEEZ)  यानि फंस जाता है क्योंकि ताप बढ़ने से (METEL) धातु के आयतन मे प्रसार होता है इससे बचने के लिए इंजिन को ठंडा रखना पड़ता है ENGINE  मे दो तरह की  COOLING SYSTEM  होते है:- 1)WATER COOLING 2)AIR COOLING 1)WATER COOLING:- WATER COOLING के भी दो प्रकार होते है :- 1 ) बलकृत जल शीतलन प्रणाली (FORCED COOLING SYSTEM)  2 ) थर्मो साइफन प्रणाली(THERMO SYPHON COOLING SYSTEM )   इनमे से  बलकृत जल शीतलन प्रणाली का प्रयोग ही ज्यादातर किया जाता है  बलकृत जल शीतलन प्रणाली(FORCED COOLING SYSTEM) इसमें COOLING के लिए  पानी USE किया जाता है जिसके साथ कूलेंट (COOLANT) का प्रयोग किया जाता है ENGINE BLOCK मे पिस्टन के साइड्स में WATER JACKET बने होते है PISTON को ठंडा रखने के लिए वाटर को  PISTON  के बगल से गुजारा जाता है जिससे  ENGINE   की गर्मी वाटर में चली जाती है और इंजन ठंड हो जाता है Radiator

TWO STROKE ENGINE IN HINDI

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                                                          टू स्ट्रोक इंजन                                                      (two stroke engine) इसमें पिस्टन दो बार निचे यानि BDC(bottom dead center) और ऊपर यानि TDC(top ded center)जाती है जिससे एक पॉवर स्ट्रोक (power strexhaustoke) मिलती है और क्रैंक शाफ्ट एक चक्कर लगाती है इस कारन इसे टू स्ट्रोक इंजन कहते है इनमे भी ये चार क्रियाएँ होती है 1)suction 2)compression 3)power 4)exhaust टू स्ट्रोक इंजन में पिस्टन सबसे पहले BDC(bottom dead center) यानि निचे से ऊपर की ओर TDC(top dead center)गति करता है जिससे सिलिंडर ब्लाक में बने(inlet port) इनलेट पोर्ट से हवा व फ्यूल(air and fuel mixture) का मिश्रण क्रैंक केस में आ जाता है इसके बाद TDC से BDC यानि ऊपर से निचे आने लगते है जब पिस्टन निचे आता है तो क्रैंक केस में आया फ्यूल व हवा का मिश्रण ट्रांसफर पोर्ट से combustion chamber में पहुच जाता है इसके बाद पिस्टन BDC से TDC की ओर चलता है जिससे combustion chamber मे मौजूद एयर व फ्यूल के मिश्रण को कंप्रेस करती है इसी समय स्पार्क प

PISTON IN HINDI

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                               piston पिस्टन क्या होता है:- पिस्टन ही इंजन में उष्मीय ऊर्जा ( HEAT ENERGY )को गतिज ऊर्जा में बदलते है पिस्टन इंजन के सिलिंडर के अंदर लगा होता है जिसका काम सिलिंडर मे ऊपर और निचे की ओर  गति करना होता है ये सिलिंडर के अंदर कम्प्रेशन बनाने का काम करते है पिस्टन ही सिलिंडर में चार क्रियाओ को पूर्ण कराते  है  1 ) SUCTIONN 2 ) COMPRESSION 3 ) POWER 4 ) EXHAUST   धातु(METARIAL) :- इसे ही सबसे पहले तेज झटका सहन करना पड़ता है इस कारण इसे बनाते समय इसमें प्रयोग होने वाले धातु का चयन सोच समझकर किया जाता है इसे ज्यादातर ALUMINIUM ALLOY से बनाया जाता है इसमें निम्न गुण होने चाहिए :- 1)softness(मुलायम) 2)smoothness(चिकनापन) 3)elasticity(लचकदार) 4)light weight(हल्का) 5)thermal expansion(आयतन में प्रसार) 6)noise free(आवाज़ राहित) 7)rustproof(जंगरहित) 8)thermal conductivity(ऊष्मा का सुचालक) पिस्टन के भाग:- 1)crown:- पिस्टन के ऊपर के गोल हिस्से को क्राउन (crown) कहते है यही combustion chamber की गर्मी को सहन है 2)land:- कम

CRANK SHAFT IN HINDI

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                                   क्रैंक शाफ्ट                                                                                                                        क्रैंक शाफ्ट इंजन में लगा सबसे अहम पार्ट होता है पिस्टन के डाउनवर्ड  मोशन यानि ऊपर और निचे की गति से प्राप्त फ़ोर्स को क्रैंक शाफ्ट प्राप्त करता है पिस्टन से इसे कनेक्टिंग रोड से कनेक्ट किया जाता है क्रैंक शाफ्ट इस ऊपर और निचे यानि up and down motion को रोटरी अर्थात घुमाव में परिवर्तित करता है कनेक्टिंग रोड के छोटे सिरे को स्माल एंड और बड़े सिरे को बिग एन्ड कहते है connecting rod piston और crank शाफ्ट को जोड़ती है और दोनों चोरो पर स्वतन्त्र गति कर सकते है क्रैंक शाफ्ट इस पॉवर को आउटपुट में बाहर देता है जिसे व्हील तक पहुचाया जाता है क्रैंक के angle अलग अलग degree पर मुड़ा होता है क्रैंक शाफ्ट के एक छोर पर गियर लगी होती है जोकि आइडियल गियर से कनेक्ट होती है और आइडियल गियर केम शाफ्ट के गियर से कनेक्ट होती है इसे टाइमिंग गियर्स भी कहते है ये गियर अथवा बेल्ट के द्वारा आपस मे भी कनेक्ट हो सकती है क्रैंक शाफ्ट से पुल्ली भ

CAM SHAFT IN HINDI

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                               केम शाफ्ट केम शाफ्ट क्या होता है:- केम शाफ्ट एक ऐसा पार्ट होता है जो इंजन में लगा महत्पूर्ण हिस्सा होता है इसका कार्य इंजन में लगे वाल्वस (valves) को खोलना व बंद करना होता है  सीएएम शाफ़्ट क्रैंक शाफ़्ट की आधी चाल पर घूमता है जब क्रैंक शाफ़्ट 2 चक्कर घूमता है तो कैम शाफ़्ट एक चक्कर घूमता है इसके अलावा इसके द्वारा डिस्ट्रीब्यूटर(distributor) व आयल पंप(oil pump) व CAM शॉफ्ट के एसेन्ट्रिक गियर द्वारा फ्यूल पंप(fuel pump) को चलाने (operate) का काम करता है                                                                                                                                                                        संरचना :-  यह एक लंबी शाफ्ट होती है जो की बीच-बिच में कही- कही पर उठी हुई होती है जिसे लोब(lobe) कहते है इन्ही लोब्स के ऊपर valve लगे होते है वाल्व सिधे cam से connect नही होते ये  push रोड mechenism व्यवस्था से जुडी होती है जब cam shaft घूमती है तब ये

ENGINE WORKING IN HINDI

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                                       इंजन की क्रियाविधि इंजन को चलने के लिए इंजन में चार क्रियाएँ होती है जिन्हें स्ट्रोक्स कहा जाता है:- 1)सक्शन(suction) 2)कॉम्प्रेशन(compression) 3)पॉवर(power) 4)एग्जॉस्ट(exhaust)  इंजन को चलने के लिए इंजन में ये क्रियाएँ होती है ये क्रियाएँ एक निश्चित क्रम में होती है क्रियाविधि:- FIRST STROKE :- जिसमे सबसे पहले पिस्टन सिलेंडर में टॉप पर होता है जिसे टॉप डेड सेण्टर(top dead center)कहते है से ऊपर से निचे बॉटम डेड सेण्टर(bottom dead center)आता है  इसे 1st स्ट्रोक सक्शन स्ट्रोक कहते है जिससे सिलिंडर में सक्शन यानि खिंचाव बनाता है जिससे बाद सिलिंडर में लगे इनलेट वाल्व खुल जाता है और जिससे इनलेट मेनिफ़ोल्ड से हवा अंदर सिलिंडर बोर में आ जाती है यदि वह पेट्रोल इंजन हो तो पेट्रोल व हवा का मिश्रण बोर में प्रवेस करता है उसके बाद इनलेट वाल्व बंद हो जाती है इसी समय एग्जॉस्ट वाल्व भी बंद रहती है SECOND STROKE :-उसके बाद पिस्टन निचे से ऊपर जाती है इस समय भी दोनों वाल्व बंद रहती है यानि पिस्टन बीडीसी से टीडीसी की ओर जाती है जिससे सिलिंडर

ENGINE PARTS NAME IN HINDI

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                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                    इंजन के मुखयतः 3 भाग होते है 1)इंजन हेड :-इंजन के सबसे ऊपर का भाग हेड कहलाता है ये कास्ट आयरन तथा एल्युमीनियम एलाय के बने होते है इंजन के इसी भाग में वाल्व रॉकर आर्म टेपेड कवर स्पार्क प्लग तथा इंजेक्टर लगा होता है Single cylinder engine head parts 1)valve spring 2)valve cap 3)valve lock 4)washer 5)gasket 6)circlip 7)leak off pipe 8)rocker arm 9)lifting hook 10)split pin 11)benjo bolt 12)valve guide 13)lock washer 14)spring washer 15)rocker arm shaft 16)tappet cover 17) combustion chamber 18)injector or spark plug 19) 2)इंजन ब्लाक:-इंजन के बीच के भाग को ब्लाक कहते है यह इंजन का सबसे महत्पूर्ण हिस्सा होता है

TYPES OF ENGINE IN HINDI

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इंजन एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से आप हीट ऊर्जा (HEAT ENERGY) को गतिज ऊर्जा में परिवर्तित कर सकते है इंजन को दो वर्गों में बनता गया है 1 )internal combustion engine 2) external combustion engine इसमें से हम गाडियो में प्रयोग कइके जाने वाला इंजन इंटरनल combustion इंजन प्रोयोग करते है इसे भी दो वर्गों में बनता गया है:- 1)CI:-compressod ignition(कंप्रेस्सड इग्नीशन) 2)SI:-spark ignition(स्पार्क इग्नीशन) ci engine का प्रयोग डीसल इंजन में होता है si engine का प्रयोग पेट्रोल इंजन में होता है इंजन मुख्यत दो प्रकार के होते है:- टू स्ट्रोक और फॉर स्ट्रोक टू स्ट्रोक इंजन का प्रयोग बहुत कम किया जाता है तथा हल्की गाडियो में किया जाता है फोर स्ट्रोक इंजन का प्रयोग  लगभग सभी गाडियो में होता है इंजन डिजाईन के आधार पर कई तरह के होता ह जैसे- 1)इनलाइन इंजन