DISTRIBUTORLESS IGNITION SYSTEM
जिस इग्निशन सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक इग्निशन कंट्रोल की व्यवस्था होती है वहाँ डिस्ट्रीब्यूटर का काम इसका प्रयोग नहीं किया जाता है इस सिस्टम के प्रमुख भाग
1) PCM (POWER TRAIN CONTROL MODULR)
2) PRIMARY AND SECONDARY WINDING
3) OPTICAL OR MAGNETIC TRIGGER DEVICE
4)SPARK PLUG
PCM
इसका काम सभी प्राइमरी वाइंडिंग को वोल्टेज की सप्लाई देना होता है और ट्रिगर डिवाइस से प्राप्त होने वाले सिग्नल और सेंसर्स से मिलने वाले डेटा के अनुसार प्राइमरी वाइंडिंग में फ्लक्स को चेंज करना होता है जिससे सेकंडरी वाइंडिंग में स्पार्क पैदा हो सके
PRIMARY AND SECONDARY WINDING
Pcm से मिलने वाला वोल्टेज प्राइमरी वाइंडिंग में जाता है प्राइमरी वाइंडिंग में तारों के लपेटे कम होती है और इसकी वायर थोड़ी मोती होती है जबकि सेकंडरी वाइंडिंग में वायर पतली होती है और उसके टर्न्स अधिक होते है सेकंडरी वाइंडिंग को स्पार्क प्लग से जोड़ा जाता है जब प्राइमरी वाइंडिंग में फ्लक्स को चेंज किया जाता है तब सेकेंडरी प्राइमरी और सेक्इंसेक्गसेकंडरी वाइंडिंग में प्राइमरी वाइंडिंग से अधिक वोल्टेज बन जाती है जो सीधे स्पार्क प्लग को भेज दी जाती है प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग को एक सॉफ्ट आयरन कोर के ऊपर लपेटा जाता है
OPTICAL OR MAGNETIC TRIGGER DEVICE
ऑप्टिकल टाइप सेंसर :-
इस सिस्टम में एक led और एक ऑप्टिकल सेंसर लगा होता है जब led की रोशनी इस ऑप्टिकल सेंसर पर पड़ती है तब ये सेंसर इसे पहचान लेता है ये सेंसर इंजन के अन्दर लगा होता है जो क्रैंक शाफ़्ट की स्थिति को पहचान कर एक वोल्टेज का सिग्नल pcm को भेजता है क्रैंक की शाफ़्ट पर एक प्लेट लगी होती है इसके बाहरी सिरे पर 1 डिग्री अंतराल में 360 स्लिट कटे होते है चार सिलिंडर के लिए चार और 6 में 6 स्लिट कतई होती है इनमे से एक स्लिट बड़ी होती है जिससे pcm द्वारा पहले सिलिंडर की स्थिति को पहचाना जाता है जैसे ही क्रैन्कशाफ्ट घूमता है वैसे ही ये प्लेट भी घूमती है प्लेट पर एक तरफ से led का प्रकाश पड़ रहा होता है और दूसरी तरफ ऑप्टिकल सेंसर लगा होता है जब प्लेट के स्प्लिट के कटे भाग से प्रकाश प्लेट के पार निकलता है तब ये ऑप्टिकल सेंसर पर पड़ता है और ऑप्टिकल सेंसर वोल्टेज बनाता है जो pcm को भेजता है इस तरह से pcm पहचान लेता है कि पिस्टन की पोजीशन क्या है
WORKING
सर्वप्रथम ट्रिगर डिवाइस से वोल्टेज pcm को जाता है जिससे pcm यह पता लगा लेता है कि किस सिलिंडर को स्पार्क देनी है इसके बाद pcm उस स्पार्क प्लग से जुड़े कॉइल को ट्रिगर कर देता है जिससे उस सिलिंडर में स्पार्क पहुँच जाती है
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