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Showing posts from October, 2018
 clr bada hota hai size mein aur ye r0 se start hota haiye genrally colorfull hota hai  iske pass pr likha hota hai dc jack ke pass hota hai 6 gen tak ke motherboard mein clr pe voltage inject kr skte hai 

BATTERY IGNITION SYSTEM IN HINDI

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BATTERY IGNITION SYSTEM बैटरी इग्निशन सिस्टम का प्रयोग ज्यादातर वाहनों में किया जाता है इसके स्पार्क को बनाने के लिए बैटरी की करंट का प्रयोग किया जाता है ज्यादातर वाहनों में 6 या 12 वोल्ट की बैटरी का प्रयोग किया जाता है इसमें बैटरी की लौ टेंशन करंट को हाई टेंशन करंट में बदल दिया जाता है PARTS OF BATTERY IGNITION SYSTEM 1) C.B POINT (CONTACT BREAKING POINT) इसे कांटेक्ट ब्रेकर पॉइंट भी कहते है ये दो टुकड़े में बना होता है एक टुकड़ा बेस प्लेट के साथ जुड़ा होता है और दूसरा प्लेट एक स्प्रिंग की पत्ती लगी रहती है जो हिल सकता है  डिस्ट्रीब्यूटर में लगे शाफ़्ट पर कैम शाफ़्ट होती है और जब ये हटता है तब स्प्रिंग के दबाव के कारण ये पुनः मिल जाते है है इस प्रकार ये मेक एंड बरेअक होते रहते हैं इसका गैप निश्चित नही होता है लेकिन साधारणतः यह 0.36 से 0.51 के बीच रखा जाता है यदि ये फप कम होगा तो cb पॉइंट जल्दी ही खराब हो जायेगा और आधिक हुआ तो कम समय के लिए हाई करंट बनेगा 2)CONDENSOR इसका प्रयोग cb पॉइंट को खराब होने से बचाने का होता है जब cb पॉइंट टूटते और जुड़ते है तब इ

MAGNETO IGNITION SYSTEM IN HINDI

MAGNETO IGNITION SYSTEM ये ज्यादातर मोटरसायकिल मोपेड और स्कूटर में प्रयोग किया जाता है कार और भारी वाहनों में इसका प्रयोग नहीं किया जाता है इसमें स्पार्क को बनाने के लिए डाइनेमो या बैटरी का प्रयोग नहीं किया जाता है SINGLE CYLINDER MAGNETO SYSTEM इसमे एक परमानेंट मैगनेट होता है जिसके अंदर आर्मेचर होता है आर्मेचर में प्राइमरी और सेकंडरी की वाइंडिंग की जाती है प्राइमरी वाइंडिंग का कॉइल थोड़ा मोटा होता है सेकंडरी वाइंडिंग की अपेक्षा मोटरसायकिल की किक मारने पर परमानेंट मैगनेट घूमता है जिससे प्राइमरी और सेकंडरी वाइंडिंग के cb (contact breaking point) पॉइंट cam शाफ़्ट के लोब से टूटते एवं जुड़ते है जिसके कारण स्पार्क प्लग पर करंट बनने लगता है प्राइमरी वाइंडिंग और cb पॉइंट के बचाव के लिए कंडेनसर का प्रयोग किया जाता है कंडेनसर इन पॉइंट के बीच स्पार्क को बनने से रोकता है जिससे ये पॉइंट जल्दी खराब नही होते आजकल इन मैगनेट को अधिक शक्तिशाली बना दिया गया है जिससे हेडलाइट और हॉर्न भी चलाये जाते है 

TYPES OF IGNITION SYSTEM

IGNITION SYSTEM TYPES 1)MAGNETO IGNITION SYSTEM 2)BATTERY IGNITION SYSTEM 3)ELECTRONIC IGNITION SYSTEM MAGNETO IGNITION SYSTEM इसका प्रयोग मोटरसाइकिल स्कूटर तथा मोपेड में किया जाता है ये बैटरी अथवा डाइनेमो से पावर लेके स्पार्क नही बनाता है कार और अन्य वाहनों में इसका प्रयोग नही किया जाता है BATTERY IGNITION SYSTEM ज्यादातर वाहनों में इसी इग्निशन सिस्टम का प्रयोग किया जाता है इसमें स्पार्क को बनाने के लिए बैटरी का प्रयोग किया जाता है बैटरी 12v या 6v के हो सकते है इसमें बैटरी के लौ टेंशन करंट को हाई हाई टेंशन में बदलकर स्पार्क पैदा की जाती है ELECTRONIC IGNITION SYSTEM आजकल की आधुनिक गाडियो में इसका प्रयोग किया जाता है इसको सभी तरह के गाडियो जैसे कार एवं मोटरसाइकिल सबमे प्रयोग किया जाता है यह लगभग मैग्नेटो इग्निशन सिस्टम की तरह ही होता है लेकिन इसमें cb पॉइंट को मेक एंड ब्रेक यानी तोड़ने और जोड़ने का काम ecu के द्वारा किया जाता है 

CRDI IN HINDI

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CRDI (COMMON RAIL DIRECT FUEL INJECTION SYSTEM) इसका प्रयोग diesal की कारो में किया जाता है इससे फ्यूल की बचत होती है और फ्यूल combustion chamber में अच्छी तरह जलती है जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है और पावर अच्छी मिलती है HALL EFFECT SENSOR IN HINDI OXIGON SENSOR IN HINDI MAP SENSOR IN HINDI MAF SENSOR IN HINDI THROTTLE POSITION SENSOR IN HINDI CRANKSHAFT POSITION SENSOR IN HINDI COOLANT TEMPERATURE SENSOR IN HINDI KNOCK SENSOR IN HINDI NOX SENSOR IN HINDI FUEL TEMPERATURE SENSOR IN HINDI इसके मुख्य भाग 1)SOLENOID INJECTORS OR PIEZO INJECTORS:- इसका प्रयोग crdi सीटें में किया जाता है इस इंजेक्टर्स को खोलने और बन्द करने का काम ecu के द्वारा किया जाता है ecu इंजेक्टर्स को इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजता है सोलेनोइड और piezo इलेक्ट्रिक में पीएजो इलेक्ट्रिक इंजेक्टर्स ज्यादा अच्छे होते है 2)COMMON RAIL:- इसका प्रयोग फ्यूल को हाई प्रेशर से इंजेक्टर्स को देना होता है इनको इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि फ्यूल की मात्रा सभी इंजेक्टर्स तक समान मात्रा में पहुंचे र

VARIABLE INTAKE SYSTEM

VARIABLE INTAKE SYSTEM इसे वेरिएबल INTAKE MANIFOLD भी कहते है मल्टी पॉइंट फ्यूल इंजेक्शन efi इंजन में इसका प्रयोग किया जाता है इस सिस्टम में प्रत्येक सिलिंडर में जाने वाली एयर की मात्रा को कम या ज्यादा करके इंजन की टार्क को कम या ज्यादा किया जाता है intake manifold सिस्टम की लंबाई दिए गए इंजन स्पीड के अनुसार सिलिंडर में जाने वाली एयर की मात्रा को निर्धारित करती है लम्बा इंटके मैनिफोल्ड कम इंजन स्पीड पर अधिक टॉर्क देता है क्योंकि ये एयर के सिलिंडर में पहुचने से पहले उसकी डेंसिटी यानी घनत्व को बढ़ा देता है इसी प्रकार छोटा intake manifold अधिक पर यानी हाई rpm पर अधिक टॉर्क देता है क्योंकि ये सिलिंडर में पहुचने वाले एयर की समय को घटा देता है MAP SENSOR IN HINDI HALL EFFECT SENSOR IN HINDI OXIGON SENSOR IN HINDI MAF SENSOR IN HINDI THROTTLE POSITION SENSOR IN HINDI CRANKSHAFT POSITION SENSOR IN HINDI COOLANT TEMPERATURE SENSOR IN HINDI KNOCK SENSOR IN HINDI NOX SENSOR IN HINDI FUEL TEMPERATURE SENSOR IN HINDI ये मैनिफोल्ड अपनी लंबाई को घटा या बढ़ा सकते है इंजन की स्पी

THROTTLE BODY INJECTION SYSTEM IN HINDI

THROTTLE BODY INJECTION SYSTEM ये भी mpfi सिस्टम का एक प्रकार है जिसमे फ्यूल को इंटक मैनिफोल्ड में इंजेक्टर के द्वारा स्प्रे किया जाता है लेकिन पोर्ट इंजेक्शन सिस्टम से इसमे अंतर ये है कि इसमें केवल एक ही इंजेक्टर का प्रयोग किया जाता है इसमें सभी सिलिंडर के मनिफोल्ड को एक ही इंजेक्टर से fuel की सप्लाई दी जाती है इंजेक्टर को थ्रोटल बॉडी के अंदर लगाया जाता है इंजेक्टर के बाद थ्रोटल वाल्व लगा होता है HALL EFFECT SENSOR IN HINDI OXIGON SENSOR IN HINDI MAP SENSOR IN HINDI MAF SENSOR IN HINDI THROTTLE POSITION SENSOR IN HINDI CRANKSHAFT POSITION SENSOR IN HINDI COOLANT TEMPERATURE SENSOR IN HINDI KNOCK SENSOR IN HINDI NOX SENSOR IN HINDI FUEL TEMPERATURE SENSOR IN HINDI इंजेक्टर में फ्यूल की सप्लाई की मात्रा को ecu के द्वारा नियंत्रित किया जाता है ecu सेंसर्स से मिलने वाले डेटा के अनुसकर ये निर्णय करता है कि फ्यूल की कितनी मात्रा को थ्रोटल बॉडी में स्प्रे करना है ये इंजेक्शन निरंतर और रूक रुक कर हो सकती है SCR IN HINDI VVT IN HINDI CRDI IN HINDI VARIABLE INTAKE SYSTEM TH

PORT INJECTION SYSTEM IN HINDI

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PORT INJECTION SYSTEM इसमे पेट्रोल को इंजेक्टर की सहायता से इनटेक मैनिफोल्ड में स्प्रे किया जाता है यह विधि mpfi सिस्टम में प्रयोग किया जाता है इसमें पेट्रोल को इनटेक मैनिफोल्ड में स्प्रे किया जाता है जिससे पेट्रोल और एयर अच्छी तरह से मिल जाते है इसमें सेंसर्स के द्वारा इनटेक मैनिफोल्ड में आने वाली हवा की मात्रा के अनुसार ecu इंजेक्टर को fuel भेजना है HALL EFFECT SENSOR IN HINDI OXIGON SENSOR IN HINDI MAP SENSOR IN HINDI MAF SENSOR IN HINDI THROTTLE POSITION SENSOR IN HINDI CRANKSHAFT POSITION SENSOR IN HINDI COOLANT TEMPERATURE SENSOR IN HINDI KNOCK SENSOR IN HINDI NOX SENSOR IN HINDI FUEL TEMPERATURE SENSOR IN HINDI इसमे प्रत्येक सिलिंडर के इनटेक मैनिफोल्ड में एक-एक इंजेक्टर लगे होते है यानी 6 सिलिंडर इंजन है तो हर एक सिलिंडर के लिए इंजेक्टर लगे होंगे जब पिस्टन के द्वारा सक्शन स्ट्रोक होता है तब क्रैन्कशाफ्ट पोजीशन सेंसर के द्वारा ecu यह पता लगता है कि पिस्टन की स्थिति इस वक़्त क्या है इसके पश्चात ecu इनटेक मैनिफोल्ड में आने वाली हवा की मात्रा को नापता है और उसक

CEREMIC FUEL FILTER IN HINDI

CEREMIC FILTER इस फ़िल्टर का प्रयोग पेट्रोल में मौजूद डस्ट एंड छोटे छोटे कणों को छानना होता है यदि ये कण कार्बुरेटर में सीधे चले जायेंगे तो जेट को बंद कर देंगे जिससे कार्बुरेटर काम करना बंद कर देगा इससे बचने के लिए इसे लगाया जाता है इसे FUEL टैंक और FUEL PUMP के बीच लगाया जाता है इसमें एक कांच के बाउल होता है जिसके अंदर स्ट्रेनर और सिरेमिक फ़िल्टर लगा होता है टैंक से पेट्रोल पहले इनलेट मार्ग से गिलास बाउल में आता है इसके बाद स्ट्रेनर से छनकर आउटलेट मार्ग से कार्बुरेटर में चल जाता है 

ECU IN HINDI

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ECU (ELECTROELE CONTROL MODULE) इसका पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल या इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट भी कहते या engine control module भी कहते है ये गाड़ी का ब्रेन होताा हैै ये एक microcontroller होता है जो गाड़ी में लगे सभी सेंसर से मिलने वाले डेटा के अनुसार इंजन को कंट्रोल करता है HALL EFFECT SENSOR IN HINDI OXIGON SENSOR IN HINDI MAP SENSOR IN HINDI MAF SENSOR IN HINDI THROTTLE POSITION SENSOR IN HINDI CRANKSHAFT POSITION SENSOR IN HINDI COOLANT TEMPERATURE SENSOR IN HINDI KNOCK SENSOR IN HINDI NOX SENSOR IN HINDI FUEL TEMPERATURE SENSOR IN HINDI एकECU के मुख्य भाग 1)MEMORY :- इसमे SROM,EPROM,FLASH MEMORY 2)INPUT:- इसमे SUPPLY VOLTAGE,ANALOG INPUT,DIGITAL INPUT 3)OUTPUT:-INJECTORS,REALEY,DDRIVES इसका प्रयोग MPFI , CRDI , VVT , GDI , EFI में किया जाता है ये सभी फ्यूल इंजेक्शन की अलग अलग विधियाँ है जिसमे सेंसर सिस्टम का प्रयोग किया जाता है गाड़ी में जितने तरह के सेंसर लगे होते है वे सभी सेंसर इसी ecu को सिग्नल भेजते है आजकल की आधुनिक गाड़ियों में सेंस

EGR SYSTEM IN HINDI

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EGR SYSTEM (ENGINE GAS RECIRCULATION VALVE) इंजन से निकलने वाले नाइट्रोजन के ऑक्साइड को कम करने के लिए इस सिस्टम का प्रयोग किया जाता है नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण से नाइट्रोजन के ऑक्साइड बनते हैं इंजन में एयर फ्यूल जब हाई टेम्प्रेचर और प्रेशर पर जलते है तब नाइट्रोजन के 2 ऑक्साइड बनते हैं NO और NO2 इससे इंजन में उत्पन्न होने से इंजन में एयर फ्यूल के अनुपात पिस्टन के चलने की गति कम हो जाती है जिससे rpm घट जाती है इस कारण इस सिस्टम का प्रयोग किया जाता है HALL EFFECT SENSOR IN HINDI OXIGON SENSOR IN HINDI MAP SENSOR IN HINDI MAF SENSOR IN HINDI THROTTLE POSITION SENSOR IN HINDI CRANKSHAFT POSITION SENSOR IN HINDI COOLANT TEMPERATURE SENSOR IN HINDI KNOCK SENSOR IN HINDI NOX SENSOR IN HINDI FUEL TEMPERATURE SENSOR IN HINDI इसका प्रयोग पेट्रोल और diesal दोनो तरह के इंजन में किया जाता है इससे फ्यूल की खपत को कम किया जा सकता है इसमें एक्सहॉस्ट गैस से निकलने वाली नाइट्रोजन गैस को वापस egr वाल्व की सहायता से पुनः इंजन के combustion चैम्बर में भेज दिया जाता है इंजन म

ELECTRONIC MUFFLER IN HINDI

ELECTRONIC MUFFLER इलेक्ट्रॉनिक मफलर का प्रयोग बैक प्रेशर को कम करने और शोर को कम करने के लिए किया जाता है इसमें एक माइक्रोफोन और स्पीकर और कंप्यूटर सिस्टम होता है जो इनको कंट्रोल करता है इसको एन्टी नॉइज़ सिस्टम भी कहते है  WORKING माइक्रोफोन साइलेंसर में लगा होता है जब एक्सहॉस्ट गैस निकलती है तब ये माइक्रोफोन इस साउंड को माइक्रोफोन के जरिये कंप्यूटर में भेज देता है कंप्यूटर इस साउंड का विश्लेषण करता है और इसको कम करने के लिए इसके विरोध में एक ध्वनि इस फ्रीक्वेंसी को बनाता है और साइलेंसर में लगे LOUDSPRAKER में भेजता है लाउडस्पीकर से निकलने वाली फ्रीक्वेंसी साइलेंसर से निकलने वाली फ्रीक्वेंसी को कैंसिल कर देती है इस तरह ये सिस्टम नॉइज़ को कम कर देता है

BACK PRESSURE IN HINDI

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BACK PRESSURE इंजन से निकलने वाले एक्सहॉस्ट गैस जब इंजन से बाहर निकलती है तब वो एक्सहॉस्ट सिस्टम से होकर गुजरता है एक्सहॉस्ट सिस्टम में कैटीलिटिक कॉन्वर्टर और मफलर से जब एक्सहॉस्ट गैस गुजरती है तब उसके मार्ग में रुकावट उत्पन्न होती है जिसके कारण बैक प्रेशर बनता है जो इंजन में वापस जाने लगता है ये बैक प्रेशर यदि अधिक हो तो इंजन की एफिशिएंसी और पावर में बहुत कमी आ जाती है इसलिए एक्सहॉस्ट सिस्टम को इस प्रकार डिज़ाइन किया जाता है कि बैक प्रेशर कम से कम रहे बैक प्रेशर 2.3 पाउंड प्रति 2 एवं17.2 किलो पास्कल से अधिक नही होना चाहिए

CHARCOAL CANISTER IN HINDI

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CHARCOAL CANISTER चारकोल कैनिस्टर का प्रयोग पेट्रोल इंजन में किया जाता है गाडियो के फ्यूल टैंक में जो पेट्रोल होता है वो वाष्प बनकर यानी भाँप बनकर उड़ता रहता है पेट्रोल में c4-c12 होता है जिसमे पैराफिन्स,ओपीफिन्स,साइक्लोएलकेन्स जैसे तत्व होते है जो यदि पर्यावरण में जाते है तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है इसलिए ये एमिशन कंट्रोल करने वाला एक डिवाइस है चारकोल कैनिस्टर में तीन पाइप लगे होते है एक इनलेट का जो कि फ्यूल टैंक में उड़ रहे वेपर को पाइप के जरिये चारकोल कैनिस्टर में इनलेट के जरिये आता है दूसरा पाइप पर्ज वाल्व (purge valve ) इनलेट में जाता पर्ज वाल्व कार्बुरेटर में जाकर खुलता है और जो तीसरा पाइप होता है वो इनलेट मनिफोल्ड से जुड़ा रहता है जब फ्यूल टैंक में गर्मी के कारण फ्यूल यानी पेट्रोल वाष्प बनता है तो वो वाष्प पाइप के जरिये चारकोल कैनिस्टर में पहुच जाता है चारकोल कैनिस्टर में एक्टिवेटेड चारकोल होता है जिसका काम इन वाष्प पेट्रोल को सोखना होता है जब इंजन में सक्शन स्ट्रोक होता है तब ये पाइप पर्ज वाल्व को ओपन कर देता है जिससे कैनिस्टर में जमा फ्यूल कार्बुरेटर में एयर

MUFFLER IN HINDI

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MUFFLER मफलर का प्रयोग एक्सहॉस्ट सिस्टम में लगाया जाता है जब एक्सहॉस्ट गैस combustion चैम्बर से निकलती है तब उस गैस का प्रेशर अधिक होता है जिसके कारण बहुत तेज आवाज निकलती है जिसे मफलर से कम किया जाता है  ये आवाज़ एक मानक आवृती की होनी चाहिए ये मानक वाहन अधिनियम के मानकों पर आधारित होती है इंजन से 500 से 1500 प्रति सेकंड और उच्च आवृती 3000 से 10000 प्रति सेकंड तक होती है  इंजन से निकलने वाला एक्सहॉस्ट गैस सबसे पहले कैटीलिटिक कन्वर्टर से होकर जाता है इसके बाद एक्सहॉस्ट गैस फ़िल्टर हो जाती है फ़िल्टर होने के बाद ये गैस मफलर में से होकर गुजरती है मफलर में जाने के बाद गैस मफलर के अंदर बने अलग अलग रास्तो से होकर गुजरती है जिसके कारण उसका प्रेशर कम हो जाता है और आवाज कम हो जाती है MUFFLER TYPES 1) BAFFLE TYPE 2) RESONANCE TYPE 3) WAVE TYPE 4) ABSORBER TYPE

CATYLITIC CONVERTOR IN HINDI

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CATYLITIC CONVERTOR कैटलिटिक कनवर्टर का काम इंजन से निकलने वाली एग्जॉस्ट गैस को फिल्टर कर उसे बाहर भेजना होता है क्योंकि इंजन में जब फ्यूल को अत्यकधिक ताप और दाब में जलने से उसके अणु टूटकर कई तरह की हानिकारक गैसों का निर्माण करते है जिन्हें यदि सीधे वायुमंडल में छोड़ दिया जाए तो ये पर्यावरण के लिए और मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है एक्सहॉस्ट गैस में प्रायः ये गैसे होती है HC (HYDROCARBON) हाइड्रोकार्बन 2NOX (NITROGEN OXIDE) नाइट्रोजन के ऑक्साइड 2CO (CARBON MONOXIDE) कार्बन मोनोऑक्साइड कैटलिटिक कनवर्टर को हिंदी में उत्प्रेरक कहा जाता है आजकल की मोटरसाइकिल में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है ये ऑक्सीकरण और अपचयन क्रिया के द्वारा इन हानिकारक गैसों को कम हानिकारक गैसों में बदल देते है कैटलिटिक कनवर्टर दो तरह के होते हैं 1) TWO WAY CATYLITIC CONVERTOR 2 ) 3 WAY CATYLITIC CONVERTOR TWO WAY CATYLITIC CONVERTOR :- टू वे कैटलिटिक कनवर्टर में केवल दो गैसों कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन का ऑक्सीकरण किया जाता है इस convertor के अंदर PT AND PD यानी प्लै

CARBURETOR WORKING IN HINDI

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CARBURETOR कार्बुरेटर का काम इंजन सिलिंडर में जाने वाली हवा में फ्यूल की कुछ मात्रा को मिलना होता है यानी ये एयर और फ्यूल का निश्चित अनुपात का मिश्रण बनाकर सिलिंडर में भेजती है ये अनुपात सामान्य रूप से 5:1 से 22:1 तक होता है ये इंजन की स्पीड और कितना चोक लिया गया है उसपर निर्भर करता है लेकिन अच्छे combustion के लिए इसे  सामान्यतः 14.7:1 रखा जाता है इसे स्टाकरियोमेट्रिक STOICIOMETRIC RATIO भी कहते है ये अनुपात फ्यूल किस तरह का है इस पर निर्भर करता है  यानी 14.7 के अनुपात में हवा और 1 अनुपात में पेट्रोल का मिश्रण होता है ये एक मैकेनिकल डिवाइस होता है आजकल इनके स्थान पर इंजेक्शन सिस्टम का प्रयोग किया जाता है जैसे MPFI( MULTI POINT FUEL INJECTION SYSTEM ) PARTS OF CARBURATOR 1) THROTTLE VALVE OR BUTTERFLY VALVE :- इसका काम होता है जब हम एक्सीलेटर को घुमाते है तब ये एक्सीलेटर एक केबल के जरिये कार्बुरेटर में लगे थ्रोटल वाल्व को खोलता है इस वाल्व के खुलने और बन्द होने से इंजन की स्पीड कम या ज्यादा होती है क्योंकि जितना अधिक ये खुलेगा उतनी ही अधिक मात्रा में एयर फ्यूल का मिश्

TYPES OF PISTON HEAD

PISTON HEAD पिस्टन हेड कई आकारों में बनाया जाता है अलग अलग आकारों होने के अलग अलग फायदे होते है और अलग अलग इंजन में प्रयोग किये जाते है कुछ पिस्टन हेड के प्रकार यहाँ बताये गए है डिफलेक्टेड टाइप पिस्टन का प्रयोग केवल 2 स्ट्रोक इंजन में किया जाता है फ्लैट हेड का प्रयोग diesal इंजन में किया जाता है और इंजेक्टर और combustion चैम्बर की स्थिति के अनुसार कई तरह के हेड प्रयोग किये जाते है पिस्टन हेड के बीच मे जो गड्ढे होते है उनका काम कम्प्रेशन स्ट्रोक के समय जो फ्यूल को combustion चैम्बर में भेजते है उसको अच्छी तरह मिक्स करना होता है और उसका मोशन बनाना होता है कनकेव हेड पिस्टन combustion चैम्बर में का कम्प्रेशन रेश्यो बढ़ाता है 1) FLAT HEAD 2 ) DOME HEAD 3 ) DIFFLECTED TYPE OR CROWN HEAD 4 ) CONCAVE HEAD 5 ) BEVELED OR WEDGE HEAD HEAD 6 ) RECESSED OR DISHED HEAD 7 ) STEP HEAD इसके अतिरिक्त भी कई तरह की आकृति की हो सकती है 

PISTON SLOT,HEAT DAM AND CAM GRINDING OF PISTON

PISTON SLOT पिस्टन के स्कर्ट में कुछ कट लगे होते है इन कट का काम होता है जब पिस्टन चलते चलते गर्म होता है क्योंकि पिस्टन को अधिक गर्मी सहन करनी पड़ती है तब पिस्टन उस गर्मी के कारण थोड़ा फैलने लगता है जिससे बचने के लिए पिस्टन में कुछ कट्स बना दिये जाते है ये कट्स हॉरिजोंटल और वर्टीकल यानी सीधे और तिरछे दोनो तरह के होते है और दोनों का काम अलग अलग होता है हॉरिजॉन्टल कट का काम पिस्टन के हेड से आ रही ऊष्मा को नीचे स्कर्ट तक आने से रोकना होता है जबकि वर्टीकल कट जा काम पिस्टन जब फैलता है तब पिस्टन का व्यास बढ़ने नही देता HEAT DAM पिस्टन के टॉप हेड में यानी कम्प्रेशन रिंग के ठीक ऊपर पिस्टन की पूरी गोलाई में ग्रूव बना होता है इसका काम पिस्टन के हेड की गर्मी को पिस्टन स्कर्ट तक जाने से रोकना है जिससे स्कर्ट अधिक गर्म न हो सके CAM GRINDING OF PISTON पिस्टन को बनाते समय पिस्टन की फिनिशिंग के वक़्त पिस्टन को का शेप यानी आकर को थोड़ा दीर्घवृत्ताकार यानी eclipse के आकार में बनाया जाता है जब पिस्टन चलते समेत गर्म होता है उस वक़्त पिस्टन की गर्मी पिस्टन बॉस की तरफ पहले जाती है जिससे पि

PISTON RING

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PISTON  RING पिस्टन मे दो तरह के रिंग लगे होते है 1)कम्प्रेशन रिंग 2)आयल स्क्रेपर रिंग COMPRESSION RING :- इसका काम पिस्टन तथा सिलिंडर वाल के बिच सीलिंग (SEALING ) बनाने का काम होता है जिससे जब सिलिंडर में कम्प्रेशन स्ट्रोक होता है तब गैस लीक न हो सके ज्यादार इंजन में दो या तीन पिस्टन रिंग का प्रयोग किया जाता है लेकिन इसके अलावा 3 या 4 भी प्रयोग किये जा सकते है ये रिंग बाहर की ओर फैले होते है और सिलिंडर की दीवारों से चिपके होते है OIL SCRAPER RING :- इसका काम पिस्टन वाल के दीवारो से लुब्रिकेशन आयल को खरोच के निचे आयल सम्प में गिराना होता है यदि आयल रिंग ख़राब हो जाती है तब ये आयल COMBUSTION चैम्बर में पहुंच  जाती है और आयल जलने लगता है जिससे इंजन आयल कम हो जाता है और आपकी गाड़ी काला धुँवा देने लगती है पिस्टन में बने आयल स्क्रेपर ग्रूव में छोटे छोटे होल होते है जिनमे से लुब्रिकेशन आयल आता है और आयल रिंग में भी छोटे होल होते है प्रत्येक गाड़िओ में केवल एक ही आयल रिंग लगी होती है लेकिन कही कही इसे दो भी फिट किये  जाते है PISTON RIGN JOINTS पिस्टन रिंग में दो

GUDGEON PIN IN HINDI

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GUDGEON PIN गजन पिन को पिस्टन पिन भी कहते है इसका काम पिस्टन और कनेक्टिंग रोड को जोड़ना है इसको पिस्टन बॉस में डालकर फिट किया जाता है कनेक्टिंग रोड का  छोटा सिरा यानि स्माल एन्ड को पिस्टन बॉस के बिच में फसाकर इनके बिच में गजन पिन को आर पार फिट कर दिया जाता है  स्टील की बानी होती है इसकी बाहर  को केस हार्डनिंग किया जाता है इसकी सतह काफी चिकनी होती है जिससे जब ये पिस्टन बॉस में चले तब इसमें घर्षण न हो गजन पिन आसानी से ख़राब नहीं होते है इनको पिस्टन बॉस में आसानी से फिट होना चाहिए इसको लगते समय ठोकना नहीं चाहिए लुब्रिकेशन की कमी या इंजन के  ज्यादा गर्म होने की वजह से ही ये शीघ्र ख़राब होते है गजन पिन के प्रकार (TYPES OF GUDEGEON PIN) 1) FULLY FLOTING TYPE ( फुल्ली फ्लोटिंग टाइप ) 2) SEMI FLOTING TYPE ( सेमी फ्लोटिंग टाइप ) 3) FIXED PIN TYPE ( फिक्स्ड पिन टाइप ) FULLY FLOTING TYPE ये पिन पिस्टन बॉस और कनेक्टिंग रोड के स्माल एन्ड दोनों में घूमता है इस कारण इसे फूल फ्लोटिंग गजन पिन कहते है क्योंकि इसे न पिस्टन से लॉक किया जाता है और न ही कनेक्टिंग रोड के स्माल एन्ड से इस

ENGINE BEARINGS IN HINDI

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ENGINE BEARINGS IC यानि इंटरनल कम्बशचन इंजन में मुख्य रूप से चार प्रकार के बेअरिंग का प्रयोग किया जाता है बेअरिंग का काम होता है जब दो पार्ट्स जो आपस में चलते है तब उनमे घर्षण होता है उनको घर्षण से बचने के लिए बेअरिंग का प्रयोग किया जाता है 1 ) MAIN BEARING ( मेंन बेअरिंग ) 2 ) BIG END BEARING (बिग एन्ड बेअरिंग ) 3 ) SMALL END BEARING ( स्माल एन्ड बेअरिंग ) 4 ) SPIGOT BEARING ( स्पीगोट बेअरिंग )  MAIN BEARING क्रैंक शाफ़्ट को जब सिलिंडर ब्लॉक में कसा जाता है तब क्रैंक शाफ़्ट इन्ही बेअरिंग के ऊपर टिका रहता है इन्ही में घूमता है  टुकड़ो में होती है अपर हाफ और लोअर हाफ इनको बेअरिंग कैप में लगाकर फिट किया जाता है ये वाइट मेटल या गन मेटल की बनी होती है इनके अंदर की सतह काफी चिकनी होती है और क्रैंक शाफ़्ट के जनरल से से टाइट जुडी होनी चाहिए जब क्रैंक शाफ़्ट इन बेअरिंग में फिट नहीं हो पाता तब तब क्रैंक जनरल की शाफ़्ट को ग्राइंड करके फिट कर दिया जाता है जिससे बेअरिंग के अंदर रगड़ से इसके अंदर हाई स्पॉट बन जाते यही इसको बेअरिंग मैचिंग कहते है BIG END BEARING क्रैंक शाफ़्ट के