clr bada hota hai size mein aur ye r0 se start hota haiye genrally colorfull hota hai iske pass pr likha hota hai dc jack ke pass hota hai 6 gen tak ke motherboard mein clr pe voltage inject kr skte hai lid switch 3 legs ka hota hai laptop ki screen mein magnet hota hai jisse ye swich off hota hai laptop open hone ki conditiom mein ye switch dono legs mein connectivity hoti 3 volt dono sides aane chahiye ye i/o ko signal deta hai ki laptop open hai board mein bq name se jo ic hoti hai wo charging ic hoti hai is ic mein mainy 3 voltage check krni hoti hai first vcc second ac detect and last ac ok ac detect mein volt 2.2 se lekar 3 volt tak aana chahiye checking steps visual inspection rtc section vin
BATTERY IGNITION SYSTEM IN HINDI
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BATTERY IGNITION SYSTEM
बैटरी इग्निशन सिस्टम का प्रयोग ज्यादातर वाहनों में किया जाता है इसके स्पार्क को बनाने के लिए बैटरी की करंट का प्रयोग किया जाता है ज्यादातर वाहनों में 6 या 12 वोल्ट की बैटरी का प्रयोग किया जाता है इसमें बैटरी की लौ टेंशन करंट को हाई टेंशन करंट में बदल दिया जाता है
PARTS OF BATTERY IGNITION SYSTEM
1) C.B POINT (CONTACT BREAKING POINT)
इसे कांटेक्ट ब्रेकर पॉइंट भी कहते है ये दो टुकड़े में बना होता है एक टुकड़ा बेस प्लेट के साथ जुड़ा होता है और दूसरा प्लेट एक स्प्रिंग की पत्ती लगी रहती है जो हिल सकता है डिस्ट्रीब्यूटर में लगे शाफ़्ट पर कैम शाफ़्ट होती है और जब ये हटता है तब स्प्रिंग के दबाव के कारण ये पुनः मिल जाते है है इस प्रकार ये मेक एंड बरेअक होते रहते हैं इसका गैप निश्चित नही होता है लेकिन साधारणतः यह 0.36 से 0.51 के बीच रखा जाता है यदि ये फप कम होगा तो cb पॉइंट जल्दी ही खराब हो जायेगा और आधिक हुआ तो कम समय के लिए हाई करंट बनेगा
2)CONDENSOR
इसका प्रयोग cb पॉइंट को खराब होने से बचाने का होता है जब cb पॉइंट टूटते और जुड़ते है तब इनके बीच स्पार्क पैदा होती है जिससे इसके पॉइंट में गड्ढे पड़ जाते है और कभी कभी लौ टेंशन सर्किट में भी हाई करंट आ जाता है जिससे बचने के लिए कंडेनसर का प्रयोग किया जाता है अधिक करंट आने पर ये एक्स्ट्रा करंट को अपने अंदर स्टोर कर लेती है
3)PRIMARY WINDING
इसे लो वोल्टेज सर्किट भी कहा जाता है ये इग्निशन कोइल के अंदर की जाती है इसकी कोइल मोती होती है और इसमे कोइल का टर्न्स यानी कोइल कितनी बार लपेटा गया है कम होती है सेकंडरी वाइंडिंग की अपेक्षा ये मोटे ताम्बे के तार होते है जिसे 200 बार तक लपेट दिया जाता है
4)SECONDARY WINDING
इसमे कोइल की टर्न अधिक होती है लगबग 2000 टर्न्स इसकी wire पतली होती है प्राइमरी वाइंडिंग की अपेक्षा इसी में 12 वोल्ट को 20000 वोल्ट में बदला जाता है
5)IGNITION COIL
ये ट्रांसफॉर्मर के म्यूचअल इंडक्शन के सिद्धांत पर कार्य करता है इसके अंदर दो तरह की वाइंडिंग होती है प्राइमरी और सेकंडरी वाइंडिंग प्राइमरी वाइंडिंग के उपर सेकंडरी वाइंडिंग को लपेटा जाता है ये एक स्टेप अप टट्रांसफॉर्मर की तरह होता है जब प्राइमरी वाइंडिंग के फ्लक्स में चेंज होता है तब सेकेंडरी वाइंडिंग में मौजूद वाइंडिंग में करंट बहने लगता है इसमे तीन टर्मिनल होते है
1)लौ टेंशन टर्मिनल जो बैटरी के साथ जुड़ा होता है
2)लो टेंशन टर्मिनल जो cb पॉइंट से जुड़ा होता है
3)हाई टेंशन टर्मिनल जो डिस्ट्रीब्यूटर से जुड़ा होता है
6)DISTRIBUTOR
डिस्ट्रीब्यूटर का प्रयोग मल्टी सिलिंडर वाले इंजन में किया जाता है इग्निशन कएल से प्राप्त हाई टेंशन करंट को बारी बारी से हर एक सिलिंडर को देना इसका काम होता है जो कि फायरिंग आर्डर के अनुसार निश्चित किया जाता है कि कब किस सिलिंडर को स्पार्क देनी है इसके अंदर एडवांस और रिटार्ड मैकेनिज्म के द्वारा फायरिंग की टाइमिंग को कम या ज्यादा किया जा सकता है
7)BATTERY
बैटरी का नेगेटिव टर्मिनल को गाड़ी के बॉडी के साथ ग्राउंड कर दिया जाता है और पॉजिटिव टर्मिनल को एक बॉलिस्ट रेसिस्टर के साथ इग्नीशन स्विच से होते हुए इग्नीशन कोइल तक पहुंचा दिया जाता है साधारण तौर पर गाडियो में 6 से 12 वोल्ट तक कि बैटरी का प्रयोग किया जाता है
8)SPARK PLUG
स्पार्क प्लग की बॉडी को इंजन हेड की बॉडी से कस दिया जाता है जिससे स्पार्क प्लग को अर्थ प्राप्त हो जाता है स्पार्क प्लग के गैप को निश्चित सीमा में होना चाहिए यदि गैप अधिक या कम है तब स्पार्क नही बनेगी 0.5 से 0.7 mm तक गैप रखा जाता है
9)CAM SHAFT
डिस्ट्रीब्यूटर के अंदर एक शाफ़्ट होती है जिसमे एक लोब बना होता है इसे ही कैम शाफ़्ट कहते है जो इंजन के कैम शाफ़्ट से जुड़ी होटी है
10) HT LEAD (HIGH TENSION LEAD)
इसका काम हाई करंट को इग्निशन कोइल से स्पार्क प्लग तक पहुचना होता है यह बहुत मोटा होता है क्योंकि इसमें हाई करंट जाती है इसमे मोटी इंसुलेशन दी जाती है क्योंकि ये करंट बाहर अर्थ न ही जाए
WORKING
बैटरी के करंट को ऑन ऑफ करके इसे 12 वोल्ट से 20000 volt बनाया जाता है जो cb पॉइंट के द्वारा किये जाते है इस cb पॉइंट में parrelal में कंडेनसर को लगाया जता है इस switching यानी बन्द चालू जिसे मेक एंड ब्रेक कहते है के कारण प्राइमरी वाइंडिंग में बन रहे मेग्नेटिक फ्लक्स में चेंज होता है जिसके कारण सेकंडरी वाइंडिंग में हाई टेंशन करंट बन जाता है ये करंट डिस्ट्रीब्यूटर कैप को चले जाते है ये उन्हें फायरिंग आर्डर के अनुसार बारी बारी से हर एक सिलिंडर को देती है डिस्ट्रीब्यूटर इस हाई करंट को हाई लीड में भेज देता है ये हाई लीड स्पार्क प्लग के टर्मिनल से जूस होते है जो पावर स्ट्रोक के समय स्पार्क बनाते है सर्किट को मेक एंड ब्रेक करने का काम डिस्ट्रीब्यूटर में लगे कैम शाफ़्ट के द्वारा किया जाता है
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Nice Explained sir
ReplyDeleteThank you so much ����
Good explain
ReplyDeleteEasy explanation
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