GOVERNOR
इंजन की चाल को कम या अधिक करने के लिए गवर्नर का प्रयोग किया जाता है ये केवल डीज़ल इंजन में ही प्रयोग किये जाते है गवर्नर को फ्यूल इंजेक्शन पंप के साथ जोड़ा जाता है गवर्नर डीज़ल की मात्रा नियंत्रित करके इंजन की चाल को कम या अधिक करते है
प्रकार (TYPES)
1 ) मैकेनिकल और सेन्ट्रीफ्यूगल टाइप
2 ) नूमेटिक टाइप
3 ) हाइड्रोलिक टाइप
मैकेनिकल और सेन्ट्रीफ्यूगल टाइप
इसमें फ्यूल इंजेक्शन पंप के कैम शाफ़्ट पर सेन्ट्रीफ्यूगल वेट या फ्लाईवेट यानि एक भार होता है जिसको स्प्रिंग की सहायता से बांध कर रखा जाता है ये वेट अपने स्थान पर ऊपर -निचे हो सकते है लेकिन बाहर नहीं निकल सकते जब कैम शाफ़्ट घूमती है तब ये भार भी घूमते है घूमने के कारण ये बाहर निकलने का प्रयत्न करते है लेकिन निकल नहीं पाते ये जिस फाॅर्स के कारण बाहर आते है इसे ही सेन्ट्रीफ्यूगल फाॅर्स कहा जाता है जब सीएएम शाफ़्ट तेजी से घूमती है तब ये उसी गति से बाहर आने का प्रयास करते है जब ये बाहर आते है तब इसके साथ जुड़ा कण्ट्रोल रोड पीछे की ओर आता है और ये रोड प्लंजर को कण्ट्रोल स्लीव के माध्यम से घुमाकर डीज़ल की मात्रा को कम या ज्यादा करते है
नूमेटिक टाइप
नूमेटिक टाइप में मुख्य रूप से दो इकाई होती है एक इनलेट मेनिफॉल्ड यूनिट और दूसरी डायफ्राम यूनिट इनलेट मेनिफॉल्ड में दो इकाई होती है एक बटरफ्लाई वाल्व और दूसरा वेंनचुरी इंजन में जब सक्शन स्ट्रोक होता है तब मेनिफॉल्ड के वेंनचुरी में एक खिचाव बनता है बरनॉली के सिद्धांत के अनुसार इस वेंनचुरी से एक पाइप सीधे पंप के डायफ्राम में जाकर खुलती है जब मेनिफॉल्ड के वेंनचुरी में एक खिचाव बनता है तब ये डायफ्राम को खींचती है डायफ्राम एक स्प्रिंग से दबा रहता है जब मेनिफॉल्ड में बटरफ्लाई वाल्व के खुलने से डायफ्राम पीछे की ओर आता है डायफ्राम कण्ट्रोल रैक से जुड़ा होता कण्ट्रोल रैक कण्ट्रोल स्लीव से जिस कारण कण्ट्रोल स्लीव घूमता है जो प्लंजर से से डीज़ल की मात्रा को कम या ज्यादा करता है जितना एक्सलरेटर दबाया जाता है उतना ही मेनिफॉल्ड के वेंनचुरी में खिचाव बनता है जो गवर्नर को ऑपरेट करता है
हाइड्रोलिक टाइप
इसमें कन्ट्रोल रोड पर हाइड्रोलिक दबाव का प्रयोग किया जाता है जब इंजन चलता है तब इंजन की गति के अनुसार हाइड्रोलिक पंप तेल को उसी दबाव के साथ प्लंजर पे डालता है प्लंजर एक स्प्रिंग के साथ जुड़ा होता है इसके अतिरिक्त फ्यूल इंजेक्शन पंप भी कण्ट्रोल रोड से जुड़ा होता है और जब प्लंजर पर तेल का दबाव पड़ता है तब कण्ट्रोल रोड के हिलने से फ्यूल की मात्रा कम या जयदा होती है
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