JACK IN HINDI

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JACK  गाड़ियों में टायर के पंचर हो जाने या किसी अन्य प्रकार के कार्यो के लिए गाड़ी को थोड़ा ऊपर उठाने के लिए जैक का प्रयोग किया जाता है जैक अलग अलग कैपेसिटी और उसे लगाने के स्थान तथा अलग अलग आकर  के आधार पर उपलब्ध होते है TYPES 1) MECHANICAL JACK 2) HYDRAULIC JACK MECHANICAL JACK इसमें मैकेनिकल लीवरेज का प्रयोग किया जाता है ये लीवरेज स्क्रू या गियर के द्वारा प्राप्त किय जाता है इसके कार्य करने का सिद्धांत नट बोल्ट जैसा ही होता है मैकेनिकल जैक में समय समय पर तेल या ग्रीस डालने की अवसक्ता होती है MECHANICAL JACK TYPES 1) PILLER TYPE 2) SCREW TYPE 3) RATCHET WITH TEETH BAR TYPE JACK 4) SEIZURE TYPE SCREW JACK 5)INCLINED SCREW BUMPER JACK HYDRAULIC JACK इस प्रकार के जैक की सहायता से कम समय में भारी से भारी वाहन को  बहुत कम ताकत लगाकर ऊपर उठाया जा सकता है इसमें हाइड्रोलिक प्रेशर को पावर से रूप में प्रयोग किया जाता है इसमें पम्प सिलिंडर पिस्टन वाल्व इत्यादि का प्रयोग किया जाता है हाइड्रोलिक जैक के हैंडल को जब दबाया जाता है तब ते...

CARBURETOR WORKING IN HINDI

CARBURETOR



कार्बुरेटर का काम इंजन सिलिंडर में जाने वाली हवा में फ्यूल की कुछ मात्रा को मिलना होता है यानी ये एयर और फ्यूल का निश्चित अनुपात का मिश्रण बनाकर सिलिंडर में भेजती है ये अनुपात सामान्य रूप से 5:1 से 22:1 तक होता है ये इंजन की स्पीड और कितना चोक लिया गया है उसपर निर्भर करता है लेकिन अच्छे combustion के लिए इसे  सामान्यतः 14.7:1 रखा जाता है इसे स्टाकरियोमेट्रिक STOICIOMETRIC RATIO भी कहते है ये अनुपात फ्यूल किस तरह का है इस पर निर्भर करता है  यानी 14.7 के अनुपात में हवा और 1 अनुपात में पेट्रोल का मिश्रण होता है ये एक मैकेनिकल डिवाइस होता है आजकल इनके स्थान पर इंजेक्शन सिस्टम का प्रयोग किया जाता है जैसे MPFI( MULTI POINT FUEL INJECTION SYSTEM )

PARTS OF CARBURATOR



1) THROTTLE VALVE OR BUTTERFLY VALVE :- इसका काम होता है जब हम एक्सीलेटर को घुमाते है तब ये एक्सीलेटर एक केबल के जरिये कार्बुरेटर में लगे थ्रोटल वाल्व को खोलता है इस वाल्व के खुलने और बन्द होने से इंजन की स्पीड कम या ज्यादा होती है क्योंकि जितना अधिक ये खुलेगा उतनी ही अधिक मात्रा में एयर फ्यूल का मिश्रण इंजन के अंदर जाएगा थ्रोटल वाल्व को फ़िल्टर के बाद और वेंचुरी के पहले लगाया जाता है

2) CHOKE VALVE :- चोक का प्रयोग इंजन में अधिक मात्रा में फ्यूल और कम मात्रा में एयर का मिश्रण भेजने हेतु प्रयोग किया जाता है इस मिश्रण को rich रिच मिक्सचर कहते है चोक को लेने से चोक का वाल्व बन्द होता है जिससे कम एयर अंदर जा पाती है इस मिश्रण को इसलिए भेज जाता है क्योंकि ठंड के दिनों में इंजन शिघ्रता से स्टार्ट नही होता इंजन में ज्यादा फ्यूल और कम हवा के जाने से इंजन अधिक गर्म होता है चोक वाल्व को वेंचुरी के बाद लगाया जाता है

3) VENTURI OR BARREL :-

वेंचुरी का काम एयर के फ्लो को कम करना कर प्रेशर डिफरेन्स बनाना होता है जब एयर वेंचुरी से गुजरती है तब वेंचुरी में दबाव का छेत्र उत्पन्न होता है जिसके कारण चैम्बर से पेट्रोल उठकर जेट के जरिये नोजल से स्प्रे के रूप में बाहर आता है

4) NOZZLE :- नोज़ल का काम पेट्रोल को छोटी छोटी बूंदों के रूप में वेंचुरी में स्प्रे करना है ये छोटी बूंदे एयर के साथ मिक्स होकर एयर और फ्यूल का मिश्रण बनाती है

5) JET MAIN OR METERING JETS :- जब इंजन कम स्पीड पर चल रहा होता है या आइडियल स्पीड पर होता है तब मेन जेट से फ्यूल की सप्लाई नोजल तक पहुचती है

6) PIOLET JET :- जब इंजन की गति को बढ़ाया जाता है तब पायलट जेट और मेन जेट दोनो एक साथ फ्यूल की सप्लाई को बढ़ा देते है

7) NOZZLE
8) FLOAT CHAMBER :- फ्लोट चैम्बर में पेट्रोल भर होता है जो सीधे पेट्रोल टैंक से फ्लोट चैंबर में आता है इसका नाम फ्लोट चैंबर इसलिए है क्योंकि इसके अंदर एक फ्लोट होता है

9) FLOAT :- फ्लोट का काम होता है जब चैंबर में पेट्रोल भरता है तब ये ऊपर उठने लगता है क्योंकि ये हल्का होता है




10) NEEDLE VALVE :- फ्लोट ऊपर उठकर चैम्बर में ऊपर की तरफ लगे नीडल वॉल्व को दबाता है जिससे नीडल वॉल्व बन्द हो जाता है और चैम्बर में आने वाले फ्यूल की मात्रा रुक जाती है

WORKING

कार्बुरेटर एक मकैनिकल डिवाइस है जो कि बरनोली के सिद्धांत पर कार्य करता है ये सिद्धांत हवा के दबाव में अंतर होने से पड़ने वाले प्रभाव को बताता है कार्बुरेटर में दो मार्ग होते है एक ओर से हवा आती है और दूसरी ओर से हवा और पेट्रोल का मिश्रण बनकर इंजन में जाता है जब इंजन में सक्शन स्ट्रोक होता है तब जो सक्शन बनता है उसके कारण कार्बुरेटर फ़िल्टर से हवा को एयर फ़िल्टर से साफ करके कार्बुरेटर तक लाती है कार्बुटर के बीच मे वेंचुरी बनी होती है ये एक सँकरा रास्ता होता है जब हवा इस सँकरे रास्ते से होकर जाती है तब वेंचुरी में कम दबाव का एक स्थान बन जाता है इस कम दबाव वाले स्थान में नोजल लगा होता है जो कि जेट में लगा होता है जेट पेट्रोल चैम्बर में डूबा रहता है वेंचुरी में कम दबाव होने के कारण नोजल में सक्शन बनने लगता है जिससे जेट में भरा पेट्रोल ऊपर आने लगता है और छोटी छोटी बूंदों के रूप में वेंचुरी में स्प्रे होने लगता है और यही पर पेट्रोल और एयर दोनो एक दूसरे में मिल जाते है

पेट्रोल इंजन में पेट्रोल टैंक को इंजन से ऊपर रखा जाता है क्योंकि कार्बुरेटर में फ्यूल आसानी से पहुँच सके जब ये फ्यूल कार्बुरेटर के फ्लोट चैम्बर में पूरा भर जाता है तब फ्लोट चैम्बर में लगा फ्लोट हल्का होने के कारण ऊपर उठने लगता है ये फ्लोट ऊपर उठकर नीडल वाल्व को बंद कर देती है इस वाल्व के जरिये फ्लोट चैम्बर में पेट्रोल आता है इस वाल्व के बंद हो जाने से अतिरिक्त आने वाले फ्यूल की सप्लाई रुक जाती है
औद्योगिक इंजन में ज्यादातर अपड्राफ्ट कार्बुरेटर का प्रयोग किया जाता हैं इसमे फ़िल्टर को कार्बुरेटर के ऊपर लगाया जाता है डाउनड्राफ्ट कार्बुरेटर को इंजन के नीचे लगाया जाता है इसके अलावा एक साइडड्राफ्ट कार्बुरेटर होता है 

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